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बाल विवाह के 7 साल बाद सुहागरात मनाना चाहता था पति, लेकिन पत्नी को मर्दों में कोई रुचि नहीं थी
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सुशील मेड़ता सिटी के निकट खाकड़की में रहता था। डीसीपी ईस्ट धर्मेन्द्र सिंह यादव ने बताया कि उसके हाथ-पांव और सिर अलग-अलग प्लास्टिक बैग में मिले थे। प्लास्टिक बैग पर छपे दुकान के नाम के आधार पर पुलिस दुकानदार तक पहुंची। इसके बाद मृतक की पहचान हो सकी।
सीमा अपनी बहनों के साथ जोधपुर के नांदड़ी इलाके में किराये से रहती है। एक अन्य आरोपी भियाराम और सीमा की बहन प्रियंका किसी कंपनी में साथ में काम करते हैं। बहनों को सीमा के समलैंगिक संबंधों का पता था। इसलिए उन्होंने इस हत्याकांड में सीमा का साथ देने का फैसला किया। लाश के टुकड़े भियाराम की कार में रखकर फेंके गए थे।
आरोपी सीमा ने माना कि सुशील उसे वैवाहिक संबंध बनाने का दबाव बना रहा था। जबकि उसे मर्दों में कोई रुचि नहीं है। इसी वजह से वो गौना कराकर ससुराल जाना नहीं चाहती थी। जब सुशील जिद पर अड़ा, तो उसने हत्या करने का प्लान बनाया। सीमा अपनी बहनों में सबसे छोटी है। वो वेटनरी नर्स है। अभी वो एक जगह नौकरी कर रही थी। बड़ी बहन बबीता एएनएम के बाद बीए कर रही थी। साथ ही वो नौकरी भी करती है। प्रियंका ने बीए किया है। हैरानी की बात यह है कि सीमा की दोनों बहनें भी अपने पति को छोड़कर अलग रह रही थीं।
27 वर्षीय सुशील का दो महीने पहले ही कृषि विभाग में एएओ पद पर चयन हुआ था। वो डेगाना के खुड़ी पंडवाला में पोस्टेड था। यह नौकरी ज्वाइन करने से पहले वो बैंक में था।
जिस प्लास्टिक बैग में लाश के टुकड़े रखे गए थे, उसके जरिये पुलिस आरोपी तक पहुंची। आरोपियों ने कबूला कि उन्होंने ही यह हत्या की है।