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कोटा में पशुपालकों की पहली कॉलोनी, 15 हजार गाय-भैंसों के रहने की व्यवस्था, सुविधाएं ऐसी जैसे कोई हाईटेक सिटी
कोटा : नए साल में राजस्थान (Rajasthan) की कोचिंग सिटी कोटा कैटल फ्री हो जाएगा। पशुपालकों के लिए बनाई जा रही प्रदेश की पहली कॉलोनी का काम करीब-करीब पूरा हो गया है। देवनारायण आवासीय योजना के तहत किए जा रहे काम में पशुपालकों को प्राकृतिक माहौल के बीच हाईटेक सुविधाएं इस कॉलोनी में दिया गया है। शहर की सड़कें पशु मुक्त हों, पशुपालक सम्मानजनक जीवन जी सकें, इस उम्मीद के साथ 300 करोड़ की लागत से इस योजना की शुरुआत की गई है। इस कॉलोनी की बात करें तो यहां करीब 15 हजार मवेशियों के रहने के व्यवस्था की गई है। आइए आपको बताते हैं गाय-भैंसों की इस पहली हाईटेक सिटी बारें में...
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कोटा बाईपास पर धर्मपुरा की 108 हेक्टेयर भूमि पर बन रही इस योजना में शहर की कॉलोनियों और मुख्य सड़कों के किनारे बसे 900 पशुपालकों को यहां शिफ्ट किया जाएगा। यह राजस्थान की पहली ऐसी योजना है, जिसमें पशुपालकों को उनकी मूलभूत सुविधाओं का खास ख्याल रखा जा रहा है।
योजना में पशुपालकों के लिए 738 आवासीय जमीन पर आवास बनाए गए हैं। पिछले भाग में 40 वर्गमीटर में 2 कमरे, किचन, वॉशरुम, बाथरुम, बरामदा, चारा स्टोर सुविधा वाले आवास बनाए गए हैं।
कॉलोनी में 15 हजार पशुओं के रहने की व्यवस्था है। क्षेत्रफल अनुसार 18 से 20 या 26 से 28 पशु पाल सकेंगे। योजना में डेयरी उद्योग के लिए 35, भूसे और खलचूरी गोदाम के 87 भूखंड, सामान्य व्यावसायिक क्षेत्र भी बनाए गए हैं।
इस कॉलोनी में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, पशु चिकित्सालय, सामुदायिक भवन, सोसायटी कार्यालय, पुलिस चौकी, पानी की टंकियां, सीवर लाइन, पार्क, नाली, सड़कें, एसटीपी, पशुमेला मैदान, दूधमंडी, रंगमंच जैसे निर्माण भी किए गए हैं।
कॉलोनी से गोबर के निस्तारण के लिए बायोगैस संयंत्र लगाया जा रहा है। इससे गोबर की दुर्गंध से मुक्ति तो मिलेगी ही साथ ही पशुपालकों को अतिरिक्त आमदनी भी होगी। इसके साथ ही खाद और बायोगैस का भी उत्पादन होगा।
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