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राजस्थान की राजनीति में हड़कंप: कौन है किसान की बेटी रितु बराला, जिसने मंत्री की बेटी का काट दिया टिकट
जयपुर, राजस्थान में छात्रसंघ चुनाव के लिए बिगुल बज चुका है। पूरे दो साल बाद एक सप्ताह बाद 26 अगस्त को छात्र संघ चुनाव के लिए वोट डाले जाएंगे। जहां प्रदेश की राजनीतिक पार्टियों ने राजस्थान यूनिवर्सिटी के लिए खासकर भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन(NSUI) और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने अपने प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया है। लेकिन चुनाव से पहले ही बवाल हो गया। क्योंकि एनएसयूआई ने राजस्थान विश्वविद्यालय से अध्यक्ष पद के लिए रितु बराला को टिकट दिया है। जबकि अध्यक्ष पद के लिए टिकट के मजबूत दावेदारों में पायलट खेमे के मंत्री मुरारी मीणा की बेटी निहारिका जोरवाल का टिकट काट दिया है। वहीं टिकट कटने से नाराज निहारिका जोरवाल ने NSUI से बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। आइए जानते हैं कौन है रितु बराला जो मंत्री पर भी भारी पड़ गईं...
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दरअसल, मंत्री की बेटी निहारिका को टिकट कटवाने वाली रितु बराला मूलरूप से राजस्थान के झुंझुनू जिले की रहने वाली है। इनका जन्म किसान परिवार में अरड़ावता ग्राम पंचायत के बारी का बास गांव हुआ है। रितु ने प्रारंभिक शिक्षा चिड़ावा की डालमिया बालिका विद्यालय से हासिल की, जिसके बाद रितु उच्च शिक्षा के लिए महारानी कॉलेज, जयपुर चली गई।
रितु की बचपन से राजनीति में दिलचस्पी रही है। रितु बराला ने वर्ष 2018 में महारानी कॉलेज से अध्यक्ष पद हेतु नामांकन किया था और जीत भी हासिल की थी। महारानी कॉलेज की अध्यक्ष बनने के बाद से ही लगातार रितु बराला छात्र राजनीति में सक्रिय रहीं हैं। जिसके चलते ही एनएसयूआई ने रितु को इस बार राजस्थान की सबसे बड़े विश्वविद्यालय से अपना प्रत्याशी बनाया है। महारानी कॉलेज जयपुर की पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष रही रितु बराला की महारानी कॉलेज के साथ-साथ राजस्थान विश्वविद्यालय की अन्य संगठन महाविद्यालयों में भी मजबूत पकड़ है।
रितु के पिता महेंद्रसिंह बराला खेती-बाड़ी तथा मां अनिता देवी गृहणी हैं। उनका छोटा भाई राहुल भी जयपुर रहकर कॉलेज की पढ़ाई कर रहा है। बारी का बास में रितु को उम्मीदवार बनाए जाने के बाद ख़ुशी की लहर दौड़ गई है । रितु बराला उनके परिवार से राजनीति में आने वाली पहली सदस्य है । रितु बराला इंटरनेशनल स्तर की ताइक्वांडो प्लेयर भी हैं ।
अब देखना होगा कि परिणाम क्या होता है। क्योंकि वह टिकट पाने में तो मंत्री की बेटी निहारिका से आगे निकल गईं। अब नतीजे ही बताएंगे कि कॉलेज के स्टूडेंट उन्हें कितना पसंद करते हैं। वहीं एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष अभिषेक चौधरी का कहना है कि हमने रितु बराला को इसलिए चुना है क्योंकि वह हमेशा छात्रों का साथ देने के लिए तैयार रहती है। कोरोना महामारी के दौरान जब कोई अपने घर से बाहर नहीं आना चाहता था।
रितु बराला दिन हो या रात छात्रों की मदद करने के लिए सड़कों पर निकली थी। ऐसी महिलाओं को ही आगे आकर देश की राजनीति की दिशा बदलने की जरूरत है, तभी महिला सशक्तिकरण संभव है।