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शहीद पति के मूछों में ताव देकर प्रेग्नेंट पत्नी ने कहा- अलविदा, घर वालों को सदमा ना लगे इसलिए 2 दिन ऐसे रही
सीकर. 16 अगस्त को जम्मू कश्मीर के पहलगाम में आईटीबीपी की बस पलटने से सीकर जिले के सुभाष शहीद हो गए थे। सीकर जिले के धोद इलाके के शाहपुरा गांव के रहने वाले शहीद सुभाष का जीवन काफी संघर्षपूर्ण रहा था। मजदूरी का काम करने वाले परिवार के घर 10 जुलाई 1993 को जन्मे सुभाष को बचपन से ही पढ़ाई का शौक था। जैसे तैसे करके सुभाष ने चिमनी की रोशनी में ही 12वीं तक की पढ़ाई कर ली। उन्हें शुरू से सेना में जाने का जुनून था। शहादत की खबर सबसे पहले उनकीी पत्नी सरला को मिली लेकिन परिवार के किसी सदस्य को यह खबर सुनकर सदमा नहीं लगे इसलिए उन्होंने किसी से नहीं बताया। सरला 8 महीने की गर्भवती हैं। आइए फोटो में देखते हैं शहीद का सफर।
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सुभाष को सेना में भर्ती होने का जूनून था। इसके लिए उसने गांव में ही दौड़ की तैयारी भी शुरू कर दी। साल 2011 में स्टाफ सिलेक्शन की जीडी की भर्ती निकली। इसमें सुभाष ने भी फॉर्म भर दिया। यह सुभाष की पहली ही परीक्षा थी और इसी में सुभाष की नौकरी भी लग गई।
जिस घर में लाइट का कनेक्शन तक नहीं था वहां सुभाष में लाइट का कनेक्शन करवाया। इसके बाद धीरे-धीरे मकान को भी पक्का बनवा लिया। इससे पहले सुभाष और उसका परिवार कच्चे मकानों में रहता था।
नौकरी लगने के 6 साल बाद सुभाष की शादी फतेहपुर की रहने वाली सरला हुई। दोनों को ही पढ़ाई करने का शौक था। सरिता जहां टीचर बनने की तैयारी कर रही थी। तो वही सुभाष भी पटवारी, आरपीएफ जैसे एग्जाम की तैयारी कर रहा था।
सरला के रीट 2021 में 128 नंबर मिले लेकिन भर्ती ही रद्द हो गई। इस बार भी रीट परीक्षा में सरला के 120 नंबर मिले। उन्हें पूरा भरोसा था कि इस बार परीक्षा में उसका सिलेक्शन हो जाएगा।
सरला जनवरी में प्रेग्नेंट हो चुकी थी। प्रेग्नेंट होने के बाद से ही शहीद सुभाष उसका पूरी तरीके से ध्यान रखता था। सरला को भी अपने पति की मूछें बेहद पसंद थी। वह अपने पति की मूंछों को कभी भी मुरझाने नहीं देती थी। वह खुद अपने पति की मूछों को ड्यूटी पर जाने से पहले ताव देती थी।
यही कारण है कि जब पार्थिव देह घर आई तो सरला ने उस दिन भी अपने पति के मूंछों के ताव दिया। सरला ने बताया कि उसके पति जल्द ही छुट्टी लेकर उसकी डिलीवरी करवाने के लिए आने वाले थे। लेकिन उसके पहले ही 16 अगस्त को सरला ने अपने पति की शहादत की खबर देख ली। फिर भी उसे विश्वास नहीं हुआ।
इसके बाद उसके पास दिल्ली से शहीद महिलाओं के लिए बनाई गई एक संस्था का फोन आया। ऐसे में उसे पूरी तरह से पता चल गया कि अब उसका सुहाग अमर हो गया। सरला प्रेग्नेंट होने के बाद भी यह बात किसी को नहीं बताई।
2 दिन तक कि वह खुद भी चुप बैठी रही ताकि घरवालों को दुख ना हो। फिलहाल अब परिवार धीरे-धीरे सदमे से बाहर आ रहा है। परिवार में किसी को अपने बेटे को तो सरला को पति खोने का दर्द है। सरला अब टीचर बनना चाहती है। वह अपने बच्चे को भी टीचर ही बनाएगी।
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