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- 1500 से ज्यादा कपड़े, AC रूम, ATM कार्ड, डॉगी ने भरी मकान की नींव और पसंद की कार...ऐसा था 'कैप्टन' का जलवा
1500 से ज्यादा कपड़े, AC रूम, ATM कार्ड, डॉगी ने भरी मकान की नींव और पसंद की कार...ऐसा था 'कैप्टन' का जलवा
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दरअसल, फतेहपुर कस्बे में रहने वाले अमित गौड़ अपने लेब्रा प्रजाति के कुत्ते से बहुत प्यार करते थे। उन्होंने अपने इस डॉग का नाम कैप्टन रखा था। वह उसे एक कैप्टन की तरह ही संभालते थे। उसका इंसानों की तरह हर शौक पूरा करते थे। उसके लिए उन्होंने 1500 से ज्यादा कपड़े बनवाए थे। इतना ही नहीं उसके लिए AC रूम और उसके नाम का ATM कार्ड तक बनवाया था। लेकिन केंसर की वजह उसकी 30 मार्च को मौत हो गई। इस खबर के बाद अमित का दिल ऐसा टूट गया जैसे उसका कोई अपना उसके बीच से चला गया हो।
अमित गौड़ को अपने पालतु कुत्ते से इतना लगाव था कि उसकी मौत होने पर उसने अपने सिर का मुंडन करवाया। इसके बाद उसे नहलाकर मुंह में स्वर्ण डालकर घर में ही अंतिम संस्कार कर उसकी समाधि बनाई। इतना ही नहीं उसकी तस्वीर रखकर बकायदा तीन दिन तक श्रद्धांजलि सभा, भजन- हवन व भोज का आयोजन किया। धर्मशालाओं व मंदिरों में दान- पूण्य के अलावा गरीबों को भी भोजन कराया गया। अब समाधि पर मूर्ति लगाने की भी तैयारी कर ली है।
कैप्टन के केंसर घोषित होने पर अमित ने उसके इलाज में ढाई लाख रुपए खर्च कर दिए। जयपुर व दिल्ली में उपचार करवाने के अलावा उसकी अमेरिका से दवा भी मंगवाई गई। लेकिन, फिर भी उसे बचाया नहीं जा सका।
अमित गौड कैप्टन को 2015 में दिल्ली से लाए थे। तब से उसे परिवार के सदस्य की तरह रखा गया। वह परिवार के लिए इतना महत्वपूर्ण था कि फतेहपुर में निर्माणाधीन नए भवन की नींव भी अशोक ने उसी के हाथों लगवाई। यहां तक की बेटी की शादी की कार भी शॉरूम पर कैप्टन ने ही सूंघकर पसंद की। अमित गौड़ के साथ बैड पर ही सोने व रहने- खाने वाला कैप्टन पूरी तरह से प्रशिक्षित था।
तीन बच्चों के पिता अमित कैप्टन को बेटे की तरह रखते। उसके लिए अलग एसी रूम था। उसके लिए 1500 से ज्यादा कपड़े व ढेरों खिलौने मंगवा रखे थे। खास बात ये भी थी कि शादी- समारोह में भी उसे परिवार का ड्रेस कोड पहनाया जाता था। उसके खर्च के लिए बकायदा अलग से बैंक एकाउंट खुलवाकर एटीएम बनवा रखा था। हर साल 30 दिसंबर को कैप्टन का जन्म दिन धूमधाम मनाया जाता था। हिंदी, अंग्रेजी व मारवाड़ी भाषा समझने वाला कैप्टन को विशेष अवसरों पर सोने की चैन पहनाई जाती थी।