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REET टॉपर सुरभि ने खोले राज, बताया- कौन सी ट्रिक्स आई काम, कैसे तैयारी करने में हुई आसानी...
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पुराने पेपर से किया अभ्यास, छोटे से कांसेप्ट को भी किया दूर
सुरभि के घर में एक छोटा भाई और एक बड़ी बहन है। पिता डॉ. पवन कुमार पारीक आयुर्वेद चिकित्सक हैं। सुरभि ने बीकानेर के केंद्रीय विद्यालय स्कूल से स्कूलिंग और डूंगर कॉलेज से बीएससी कर चुकी हैं। सुरभि कहती हैं कि छठी से आठवीं तक की विज्ञान की किताबों को खूब पढ़ा। उसमें दिए गए हर सवाल को हल किया। इसके साथ ही पुराने पेपर का अभ्यास हर रोज किया। मैंने इन तीनों कक्षाओं के सिलेबस की किताबों को खूब पढ़ा। छोटे से छोटे कांसेप्ट को दूर किया। कुछ सवाल तो किताब से ही हुबहू आ गए। सुरभि का कहना है कि उसने 12वीं विज्ञान में करने के बाद मेडिकल में जाने की कभी इच्छा नहीं जताई।
परीक्षा के लिए डेडीकेशन जरूरी
सुरभि कहती हैं कि यदि आप कोई परीक्षा दे रहे हैं तो उसके लिए सबसे पहले डेडीकेशन जरूरी है। जिस विषय को आपने चुन लिया है, उसके बारे में सारी जानकारी आपके पास होनी चाहिए। विषय को हल्के में नहीं लेना चाहिए। वे कहती हैं कि अभी बीएएसी कर रही हूं। इसके बाद राजस्थान प्रशासनिक सेवा के लिए प्रयास करूंगी। आम लोगों की समस्याएं दूर करना चाहती हूं।
सुरभि ने ऐसे की तैयारी...
सुरभि ने बताया कि मैंने बीएएसी की पढ़ाई के साथ ही रीट की परीक्षा दी थी। सभी तरह के कांसेप्ट दूर करने का प्रयास किया। कोचिंग की कुछ बुक्स पढ़ती थी। छठी से आठवीं तक की बुक्स को खूब पढ़ा। कई बार तो समझ नहीं आता था कि क्या-क्या पढूं। बाद में लगा कि मुझे छोटे कांसेप्ट दूर करने चाहिए। यही ट्रिक्स काम आई। सुरभि का भाई अभी 12वीं का स्टूडेंट है और बहन सूरतगढ़ थर्मल पावर में इंजीनियर है।
पढ़ाई को तनाव के रूप में नहीं लिया...
सुरभि ने कहा कि उसके दो विजन हैं। दोनों में एक को पूरा करना चाहती है। उन्होंने बताया कि कॉलेज लेक्चरर बनने का सपना है। साथ ही प्रशासनिक अधिकारी बनने को लेकर भी प्रयास करूंगी। सुरभि भविष्य में प्रतियोगी परीक्षाओं के माध्यम से अपने सपने को पूरा करेंगी। उसके B.Ed का परीक्षा परिणाम अभी तक आया नहीं है। B.Ed की परीक्षा के साथ ही रीट की परीक्षा हुई थी, लेकिन कभी भी उसने पढ़ाई को तनाव के रूप में नहीं लिया। पारिवारिक आयोजनों में भी बढ़कर भाग लिया और साथ ही सामान्य तरीके से नियमित पढ़ाई भी जारी रखी।
चाचा ने दी थी कक्षा 6 से 8 तक की किताबें पढ़ने की सलाह
सुरभि ने बताया कि ऑनलाइन एजुकेशन के साथ ही उसके चाचा अमित जोशी ने उसे कक्षा 6 से 8 तक की पुस्तकों को पढ़ने के लिए सलाह दी, जिसके अनुरूप उसने तैयारी की है। सुरभि ने कहा कि बालिका शिक्षा का एक महत्व है। बच्चियों को केवल रसोई और शादी तक ही सीमित नहीं रखना चाहिए। बच्चियां अपनी योग्यता हर क्षेत्र में साबित कर सकती हैं। उन्होंने कहा कि इस सफलता से इसी बात का संदेश देने का प्रयास किया है।
पिता बोले- सिर गर्व से ऊंचा
सुरभि के पिता ने कहा कि निश्चित रूप से उनकी बेटी ने सिर गर्व से ऊंचा किया है। उन्होंने कहा कि कभी भी पढ़ाई के लिए दबाव नहीं डाला और हर समय पढ़ाई के साथ दूसरे मनोरंजन और मानसिक रूप से तनाव मुक्त रहने को लेकर भी सलाह दी।
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