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पंचतत्व में विलीन विग कमांडर कुलदीप: पत्नी ने दी पति को मुखाग्नि, फिर चिता के सामने सास से लिपट बिलखती रही
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मां ने बेटे तस्वीर चिता के आगे रख किया सैल्यूट
अतिम संस्कार नहीं होने तक पत्नी अपने पति की तस्वीर को सीने से लगाए रखी। दिल्ली से शव गांव लाने और घर से श्मशान तक ले जाने तक वो सब चुपचाप रही, लेकिन जैसे ही चिता को आग दी उसके बाद सास से लिपट बिलख-बिलखकर रोई। यह सीन देख मौके पर मौजूद हजारों आंखों में भी आंसू आ गए। वहीं मां ने भी अपने शहीद बेटे की तस्वीर को शव के आगे रख प्यार किया और सैल्यूट कर बेटे को अंतिम विदाई दी।
उमड़ा जनसैलाब..कोई छत पर चढ़ा तो कोई पेड़ पर
बता दें कि विग कमांडर कुलदीप सिंह के पैतृक गांव में उनके अंतिम दर्शन और इस शव यात्रा में हजारों की संख्या में जनसैलाब उमड़ा था। दूर-दूर तक लोग ही लोग नजर आ रहे थे, पार्थिव शरीर के साथ कई किलोमीटर लंबा काफिला था। गांव में जहां महिलाएं अपने वीर सपूत को छत पर खड़े होकर नम आखों से सलाम कर रही थीं, तो वहीं युवा अपने इस हीरो की याद में जह हिंद और कुलदीप अमर रहे के नारे लग रहे थे। तो बच्चे हाथों में तिरंगा लिए भारत माता की जयघोष कर रहे थे।
हर तरफ अमर जवान और वंदे मातरम के नारे
इस वीर जवान के अंतिम सफर में आसपास के गांव के अलावा शहरों से भी लोग आए हुए थे। इलाके के सभी जनप्रतिनिधि और पुलिस प्रशासन मौजूद था। जिस रास्ते भी शहीद की अंतिम यात्रा गुजरी वहां जगह-जगह डीजे पर देशभक्ति गाने और वंदे मातरम के नारे लगाए गए। घरड़ाना खुर्द गांव के लोग यही कह रहे थे कि हमारे गांव की शान आज विदा हो गई। पूरे गांव को इस हीरो पर गर्व था। लेकिन अब वही हीरो अपने अंतिम सफर पर है।
कुलदीप की मां कमला देवी की भी आंखें नम हैं, लेकिन उनकी आंखों में बेटे के लिए गर्व भी है। उन्होंने वंदे मातरम के जोर-जोर से नारे लगाए और कहा- मेरा बेटा शहीद हो गया। यही मेरे बेटे की कमाई है। मेरा बेटा देश की सेवा करते हुए शहीद हुआ है। अब बहू को भी सेना में भेजूंगी। यही मेरा अगला मिशन होगा।
शहीद कुलदीप सिंह राव मूल रूप से झुंझुनू जिले के घरडाना खुर्द गांव के रहने वाले हैं। उनके माता-पिता जयपुर में रहते हैं। पिता रणधीर सिंह नेवी से रिटायर्ड ऑफिसर है। शहीद कुलदीप सिंह राव की बहन अभिता राव भी सेना में डिप्टी कमांडेंट के पद पर तैनात है। शहीद कुलदीप के चचेरे भाई राजेंद्र राव भी नेवी में कार्यरत रहे हैं। वे अब रिटायर्ड हो गए हैं। राजेंद्र कहते हैं कि कुलदीप बचपन से ही पायलट बनना चाहता था। खिलौने का हवाई जहाज हाथ में लेकर घूमता था। कहता था कि एक दिन मैं पायलट जरूर बनूंगा।
बता दें कि दो साल पहले 17 नवंबर 2019 को शहीद कुलदीप सिंह राव की शादी हुई थी। उनकी पत्नी मेरठ में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में लेक्चरर हैं। लेकिन तीन दिन पहले हुए तमिलनाडु में हुई इस घटना से सब बिखेर करके रख दिया। सारी खुशियां पर मातम छाया हुआ है।