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Kids Care: कैसे सिखाएं बच्चों को Good Touch और Bad Touch, इस उम्र से देने लगें ट्रेनिंग
रिलेशनशिप डेस्क: आज की कलयुगी दुनिया में छोटे-छोटे बच्चे भी यौन शोषण का शिकार हो रहे है। छोटी उम्र में उनके साथ क्या होता है, ये समझ पाना मुश्किल होता है। बच्चे भी ना समझी में ये समझ नहीं पाते की उनके साथ क्या गलत हुआ है और जब पता चलता है, तब तक बहुत देर हो जाती है। अक्सर देखा गया है कि बच्चों के परिचित, उनके परिवार के सदस्य और दूर के रिश्तेदार ही उनके बहला-फुसला कर और उन्हें लालच देकर उनका यौन शोषण करते है। ऐसे में बच्चों पर शुरू से ध्यान देना जरूरी है और उन्हें 'गुड टच' (Good Touch) और 'बैड टच' (Bad Touch) के फर्क को समझाएं, तो इससे इस समस्या पर काफी हद तक काबू पाया जा सकता है। आइए आपको बताते हैं, कि कैसे बच्चों को गुड टच और बैड टच के बारे में जानकारी दें...
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अगर कोई आपको Touch करे और उससे आपको अच्छा लगे तो ये गुड टच होता है। जैसे - आपके गालों को खींचना, प्यार से सिर पर हाथ रखना आदि। वहीं, जब कोई आपको इस तरह से Touch करे कि आपको उससे बुरा लगे तो ये बैड टच होता है। जैसे- कोई व्यक्ति आपके प्राइवेट पार्ट्स गलत तरीके से छूने की कोशिश करे तो यह बैड टच होता है।
जब बच्चे 3–4 साल के हो जाए तो उन्हें गुड और बैड टच के बारे में जानकारी देना शुरू करें। उन्हें बताएं कि उनके शरीर पर केवल उनका ही अधिकार है। अगर कोई उन्हें छूने की कोशिश करता है, तो इसका विरोध करें और अपने पेरेंट्स को इस बारे में जानकारी दें।
बच्चों से खुल कर बात करने में हिचके नहीं। आप उनसे साफ शब्दों में कहें कि अगर कोई उन्हें छूता है तो उन्हें कैसा महसूस होता है। जब वो आपकी फीलिंग को समझेंगे तो बच्चों को इसका भी एहसास हो जाता है, इसलिए बच्चों को साफ कहें कि किसी के छूने पर उन्हें बुरा महसूस हो तो इसे अपने टीचर या उनसे कहें।
अक्सर देखा जाता है कि बच्चों को जो चीज हंसी, खेल और मस्ती में सिखाई जाती है वह उन्हें सालों साल तक याद रहती है। इसके अलावा बच्चों को कोई चीज डांट कर या मार कर सिखाने की कोशिश करते हैं, तो वह चीज को बच्चे ध्यान से नहीं सुनते हैं और इग्नोर करते हैं। ऐसे में जब आप अपने बच्चे को गुड टच बैड टच के बारे में बताने की कोशिश करें, तो उसे प्यार से समझाएं और खेल खेल में उसे इसके बारे में जानकारी दें।
अक्सर ऐसा होता है कि कोई भी इंसान बच्चों को चॉकलेट या कोई खेल खिलौने देता है तो बच्चे उसे आसानी से एक्सेप्ट कर लेते हैं। ऐसे में अपने बच्चे में यह हैबिट डिवेलप कीजिए कि आपका बच्चा ना कहना सीखें, क्योंकि कई बार वह इंसान आपके बच्चे को चीजें देकर बहलाने-फुसलाने की कोशिश करता है इसलिए बच्चे को ना कहने की आदत डलवाएं।
अक्सर ऐसा होता है कि कामकाज के चलते मां-बाप बच्चों को ज्यादा समय नहीं दे पाते हैं। कई बार उनकी बातों को अनसुना भी कर देते हैं। अगर आप वर्किंग भी है तो कुछ समय निकालकर अपने बच्चों के साथ टाइम स्पेंड करें और अपनी बातें उनके साथ शेयर करें तो धीरे-धीरे वह भी अपने दिल की बात आपको बताना शुरू कर देंगे।
बच्चे मासूम होते है, ऐसे में उनके साथ क्या हो रहा होता है, उन्हें भी इस बारे में जानकारी नहीं होती है। ऐसे में आप अपने बच्चे की एक्टिविटीज पर ध्यान रखें। अगर उनके व्यहार में आपको कुछ फर्क देखने को मिलता है, तो उसके मन को पढने की कोशिश करें और उनसे खुलकर बात करें।
यौन शोषण का शिकार केवल लड़कियां नहीं होती, बल्कि कुछ दनाव मासूम लड़कों को भी अपना शिकार बना लेते हैं। ऐसे में चाहें आपका बेटा हो या बेटी आप उसे गुड टच और बैड टच के बारे में जानकारी दें।
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