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Photos: 12 साल में एक बार खिलता है ये फूल, देखने के लिए लोग लाखों रुपए खर्च कर देते हैं, क्या है खासियत?
केरल के इडुक्की जिले के शालोम हिल्स पर नीलकुरिंजी का फूल खिल चुका है। इस फूल की खासियत ये होती है कि ये 12 साल में एक बार खिलता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये स्ट्रोबिलैंथेस की एक किस्म है। ये एक मोनोकार्पिक प्लांट है, जो एक बार मुरझाने के बाद दोबारा खिलने में 12 साल का वक्त लेता है। आमतौर पर ये फूल अगस्त में खिलना शुरू हो जाता है और अक्टूबर तक रहता है। तस्वीरों में देखें फूल की खासियत...
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ये फूल भारत में सिर्फ कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु के शोला नामक के जंगलों में ऊंचे पहाड़ों पर ही पाए जाते हैं।
नीलकुरिंजी को देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। इस फूल की वजह से यहां पर्यटकों का मेला लगा रहता है। लोग लाखों रुपए खर्च कर केरल आते हैं और इस फूल को देखते हैं।
3,000 हेक्टेयर में इन पहाड़ियों के बीच नीलकुरिंजी फूलों के दुर्लभ पौधे पाए जाते हैं। यहां हर झाड़ी एक बार ही पौधा उगाती है फिर मर जाती है। इन पौधों को फिर से अंकुरित होने और 30 से 60 सेंटीमीटर ऊंचे तक बढ़ने में 12 साल और लगते हैं।
नीलकुरिंजी का पौधा आमतौर पर एशिया और ऑस्ट्रेलिया में पाया जाता है। यह जीनस स्ट्रोबिलेंथेस से जुड़ा है, जिसकी लगभग 450 प्रजातियां हैं, जिनमें से 146 भारत में पाई जाती हैं और उनमें से लगभग 43 केरल में पाई जाती हैं।
केरल में कोरोना के चलते टूरिज्म पर रोक लगी है। यहां रोजाना 20 हजार नए केस सामने आ रहे हैं। इस बीच कम ही उम्मीद है कि अबकी बार इसे देखने के लिए लोग आए।
कोरोना की वजह से इस बार नीलकुरिंजी से सजी पहाड़ियां शांत पड़ी है। हालांकि इस बार सोशल मीडिया पर इस फूलों की तस्वीरें खूब वायरल हो रही हैं।