- Home
- Viral
- यहीं से जाता है नागलोक का रास्ता, प्रकृति के चमत्कारों से भरी है ये जंगली दुनिया, नागपंचमीं पर है खास महत्व
यहीं से जाता है नागलोक का रास्ता, प्रकृति के चमत्कारों से भरी है ये जंगली दुनिया, नागपंचमीं पर है खास महत्व
- FB
- TW
- Linkdin
जिस जगह पर नागद्वारी है, वो एरिया सतपुड़ा टाइगर रिजर्व क्षेत्र में आता है। इसलिए यहां विशेष अवसर को छोड़कर आना प्रतिबंधित है। हर साल नागपंचमीं पर यहां मेला भरता है। इसमें हजारों लोग कई किलोमीटर पैदल चलकर पहुंचते हैं। यहां 10 दिन पहले से ही देशभर से लोग आना शुरू कर देते हैं।
नागद्वारी के अंदर चिंतामणि की गुफा है। ये गुफा करीब 100 फीट लंबी है। इसी डरावनी गुफा में नागदेव की कई मूर्तियां विराजी हैं।
सुबह भक्तों को नागद्वारी के लिए निकाला जाता है।इस 12 किमी की पैदल पहाड़ी यात्रा पूरी कर लौटने में दो दिन लगते हैं।
हिंदू धर्म में मान्यता है कि जो लोग नागद्वार जाते हैं, उनकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। नागद्वारी की यात्रा के दौरान रास्ते में कई जहरीले सांपों से अकसर सामना हो जाता है। हालांकि आज तक इन्होंने किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया है।
नागद्वारी मंदिर की यह धार्मिक यात्रा करीब 100 साल से ज्यादा समय से चली आ रही है। इस यात्रा के पहले1959 में चौरागढ़ महादेव ट्रस्ट बना था। 1999 में महादेव मेला समिति का गठन हुआ। इसके बाद से यह यात्रा थोड़ा सुगम बनी है।
नागद्वारी की यात्रा सतपुड़ा की घनी व ऊंची पहाड़ियों में सर्पाकार पगडंडियों से होकर गुजरती है। इस पूरी यात्रा मेंभोले के भक्तों को धर्म लाभ के साथ प्रकृति के नैसर्गिक सौंदर्य के अद्भुत दर्शन होते हैं। कहते हैं कि नागद्वारी की कठिन यात्रा पूरी करने से कालसर्प दोष दूर होता है। वहीं, नागद्वारी में गोविंदगिरी पहाड़ी पर मुख्य गुफा में शिवलिंग में काजल लगाने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। फोटो साभार- यतीश Yateesh sharma और Chetan Bhargava