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ग्रहों की अशुभ स्थिति के कारण होती हैं बीमारियां, इससे बचने के लिए कौन-सा रत्न पहनना चाहिए?
उज्जैन. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जन्म कुंडली में छठा भाव बीमारी और अष्टम भाव मृत्यु और उसके कारणों पर प्रकाश डालता है। बीमारी पर विचार जन्म कुंडली के 12वें भाव से किया जाता है। इन भावों पर दृष्टि डालने वाले अनिष्ट ग्रहों के निवारण के लिए पूजा-पाठ, जाप, यंत्र धारण, दान एवं रत्न धारण आदि उपाय ज्योतिष में बताए गए हैं। आज हम आपको बता रहे हैं कुंडली में कौन-सा ग्रह किस बीमारी का कारक होता है और उसके निवारण के लिए कौन-सा रत्न धारण करना चाहिए…
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ब्लडप्रेशर
जन्म कुंडली में शनि व मंगल की युति हो या एक-दूसरे की परस्पर दृष्टि हो तथा छठे, आठवें और बारहवें भाव में चंद्र का स्थित होकर पापग्रहों से दृष्ट होना ब्लड प्रेशर देता है।
उपाय- चिंता और श्रम के कारण होने पर सफेद मोती, मधुमेह व मोटापे के कारण होने पर पुखराज एवं शनि की साढ़े साती में रक्तचाप प्रारंभ होने के कारण काला अकीक अथवा गोमेद रत्न अंगूठी में धारण करें.
मधुमेह (डायबिटीज)
यह रोग चंद्रमा के पापग्रहों के साथ युति होने पर, शुक्र ग्रह की गुरु के साथ या सूर्य के साथ युति होने पर अथवा शुक्र ग्रह पापग्रहों से प्रभावित होने पर होता है।
उपाय: सफेद मूंगा रत्न अंगूठी में धारण करने से लाभ होता है।
दिल की बीमारी
जन्म कुंडली के चतुर्थ, पंचम और छठे भावों में पापग्रह स्थित हों और उन पर शुभ ग्रहों की दृष्टि नहीं हो, तो हृदय रोग की शिकायत होती है। कुंभ राशि स्थित सूर्य पंचम भाव में और छठे भाव में अथवा इन भावों में केतु स्थित हो और चंद्रमा पापग्रहों से देखा जाता हो, तो हृदय संबंधी रोग होते हैं।
उपाय: सूर्य यदि कारण बनें तो माणिक, चंद्र का कारण हो तो मोती पहनना लाभदायी है।
अन्य रोगों होने पर ये रत्न पहनें…
1. कमर एवं पैर दर्द होने पर पीला पुखराज धारण करें। यह लिवर एवं जॉन्डिस में भी प्रभावी है।
2. अस्थमा या टीबी होने पर सफेद मोती पहनें। इससे अनिद्रा में फायदा होता है।
3. किडनी या पेट से संबंधित रोग होने पर पन्ना, जेड या रॉक क्रिस्टल पहनें। यह सिर दर्द में भी लाभकारी है।
4. मूत्राशय संबंधी बीमारी होने पर मोती, हीरा, लाल मूंगा या पीला पुखराज अपनी कुंडली के अनुसार पहनें।
5. रक्त संबंधी रोग होने पर नीलम, पन्ना या रूबी कुंडली के अनुसार पहनें।