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मां के दूध में इतनी ताकत, 23 दिन के मासूम से सिर्फ 15 दिन में ही हार गया कोरोना
आगरा(Uttar Pradesh). कहते हैं दुनिया में किसी शिशु के लिए उसके मां के दूध से ज्यादा फायदेमंद कोई दवा नही होती है। ये बात बिलुकल सही साबित हुई है आगरा के एक मासूम कोरोना पीड़ित के साथ। 23 दिन के मासूम बच्चे में कोरोना पाजिटिव पाए जाने के बाद आगरा के एसएन मेडिकल कालेज में भर्ती कराया गया था। उसकी देखभाल के लिए उसकी मां को भी सुरक्षा किट और तमाम अहतियात बरतते हुए उसके साथ रखा गया था । लेकिन महज 15 दिनों में ही सूबे के सबसे कम उम्र के कोरोना पाजिटिव मरीज ने कोविड19 जैसी महामारी को हराते हुए जंग जीत ली।
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आगरा के ताजगंज इलाके में रहने वाले मोहम्मद आरिफ के 23 दिन के बेटे मोहम्मद साद में कोरोना की पुष्टि होने पर 20 मार्च को एसएन मेडिकल कॉलेज के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कराया गया था। चिकित्सकों के लिए यह मरीज खास था क्योंकि ये सबसे कम उम्र का कोरोना पाजिटिव मरीज था । उस मासूम की देखरेख के लिए मां जैनब बेगम को साथ रखा गया। वह पीपीई किट पहन कर बच्चे के साथ रहतीं। क्योंकि वह निगेटिव थीं। अस्पताल में भर्ती करने के बाद मासूम साद में कोई लक्षण दिखाई नहीं दे रहे थे ऐसे में डॉक्टर भी परेशान थे कि इस मासूम को क्या इलाज दिया जाए।
चिकित्सकों ने मासूम कोरोना पाजिटिव की मां जैनब बेगम की सेहत का भी विशेष ख्याल रखा। उन्हें फल, हरी सब्जी, सलाद, दूध समेत पौष्टिक भोजन दिया गया। शिशु को पांच से सात बार स्तनपान कराया जाता। नतीजा यह हुआ, कि 23 दिन के मासूम साद की 14 दिन में दो बार रिपोर्ट निगेटिव आईं।
यह किसी मरीज में अबतक का सबसे तेज सुधार है। डॉक्टर भी इसे मां के दूध और उसकी ममता का कमाल कह रहे हैं। 23 दिन का मासूम बिना दवा के कोरोना जैसी घातक बीमारी से जंग जीत गया। मात्र 15 दिन में संक्रमण से मुक्त हुआ। अब उसे डिस्चार्ज किया जा चुका है।
मासूम कोरोना पाजिटिव की मां जैनब ने बताया कि परिवार में चाचा को कोरोना हुआ, इसके चलते जांच कराई। हम सभी निगेटिव थे पर बेटे की रिपोर्ट पॉजीटिव आई। हम सभी घबरा गए थे जैनब ने बताया, साद के संक्रमित होने की जानकारी पर दिल बैठ गया। हर वक्त उसे सीने से लगाए रहती। डॉक्टर-नर्स उसका हालचाल जानने के लिए आते। डॉक्टरों द्वारा दिए निर्देशों के अनुसार सावधानी से स्तनपान कराती।
एसएन मेडिकल कॉलेज के कोविड अस्पताल के सह प्रभारी डॉ. अखिल प्रताप सिंह के मुताबिक साद सबसे कम उम्र का कोरोना संक्रमित था। उसकी देखभाल के लिए उसकी मां को साथ रखना जरूरी थी। इसलिए PPE किट के साथ मां भी साद के साथ रही। उसकी मां को पौष्टिक भोजन दिया गया और शिशु को ज्यादा से ज्यादा स्तनपान कराने को कहा गया। शिशु में कोई लक्षण नहीं थे, अत: उसके लिए मां का दूध ही दवा बन गया।