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फ्लैशबैक: तस्वीरों में देखिए गंगा तट पर बाबाओं की भक्ति, इनके हठ योग जानकर हो जाएंगे हैरान
प्रयागराज (Uttar Pradesh) । संगम नगरी में माघ मेला-2021 की तैयारी जोरों पर चल रही है। खबर है कि माघ मेले में आने वाले कल्पवासियों की लिस्ट इस बार मेले की वेबसाइट पर अपलोड होगी। इतना ही नहीं सभी कल्पवासियों का कोविड-19 टेस्ट कराया जाएगा। रैपिड एंटीजन टेस्ट अथवा थर्मल स्कैनिंग की व्यवस्था सुनिश्चित कराने की तैयारी की जा रही है। साथ ही माघ मेला क्षेत्र में सैनेटाइजेशन के कार्य को भी नियमित रूप से कराने की बात कही जा रही है।
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आज हम कुछ ऐसे बाबाओं के बारे में बताने जा रहे हैं, जो हर बार कल्पवास करने आते हैं और उनपर सभी की नजर टिकी रहती है, क्योंकि उनके हठयोग की हमेशा चर्चाएं होती रहती है।
यह बाबा लक्ष्मण दास हैं, जिन्हें लोग अब कांटों वाले बाबा कहते हैं। इनसे 18 साल की उम्र में गौ हत्या हो गई थी, जिसका प्रायश्चित कर रहे हैं। ये हर साल कल्पवास करने आते हैं और कांटे की सैय्या बनाकर हठयोग करते हैं।
सोनभद्र जिले के मारकुंडी निवासी बाबा अमरजीत हर साल हठयोग करते हैं। कल्पवास के समय वे अपने सिर पर जौ उगाते हैं। इसके बाद उसे मछलियों को खाने के लिए गंगा की धारा में प्रवाहित कर देते हैं।
वाराणसी के पिलखी में निवासी महर्षी दयाशंकर दास 12 साल से अन्न नहीं खाते हैं। वे पोलियो से ग्रसित हैं। वह बताते हैं कि मैं रात 11 बजे मूंगफली और गुड़ खाकर रहता हूं। वह हर साल कल्पवास करने आते हैं।
राजेश्वरानंद मेला क्षेत्र में बुलट बाबा के नाम से प्रसिद्ध हैं। वैसे तो उनका जन्म जौनपुर के बदलापुर में हुआ। लेकिन, वैराग्य लेने के बाद वो महाराष्ट्र में रहने लगे। जहां से हर साल बुलट चलाकर कल्पवास करने आते हैं।
भीषण ठंड में भी महंत अमर गिरी हठयोग करते हैं। ये 20 साल से बिना कपड़े के रहते हैं। बताते हैं कि यह 15 सालों से कल्पवास करने आते हैं।
स्वामी प्रणव पुरी जी महराज साफ्टवेयर इंजीनियर थे। लेकिन, अब कथा वाचक हो गए हैं। वे साल 2012 से हर साल कल्पवास करने आते हैं और यहां कथा करते हैं। वहीं, कुछ ऐसी ही कहानी धुनी बाबा की है, जो चारों तरफ आग जलाकर हठ योग करते हैं।