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UP: बुरे फंसे मोदी के मंत्री अजय मिश्रा, सियासत से पहले लड़ते थे कुश्ती, दबंगई ऐसी कि खुले मंच से धमका देते
लखनऊ। मोदी सरकार में तीन महीने पहले ही केंद्रीय गृह राज्य मंत्री बने अजय मिश्रा टेनी विवादों में हैं। अपने बेबाक बयानों और दबंग छवि के लिए पहचाने जाने वाले मिश्रा के बेटे पर आरोप है कि उनकी गाड़ी ने किसानों को रौंद दिया। जिसके बाद हिंसा भड़क गई और 4 किसानों समेत 9 लोगों की मौत हो गई। मामले में मंत्री और उनके बेटे पर केस दर्ज कर लिया गया है। बेटा पुलिस की हिरासत में है। हालांकि, मंत्री की ओर कहा गया कि उनका बेटा मौके पर मौजूद नहीं था। हमारे पास वीडियो सबूत है। आईए जानते हैं अजय मिश्रा टेनी और उनके अब तक के सफर के बारे में...
| Published : Oct 04 2021, 02:07 PM IST / Updated: Oct 04 2021, 02:12 PM IST
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अजय मिश्रा का 8 दिन पहले का एक वीडियो सोशल मीडिया में खूब वायरल हो रहा है। इसमें वे एक खुले मंच से कहते हैं- ‘आप भी किसान हैं आप क्यों नहीं उतर गए आंदोलन में...अगर मैं उतर जाता तो उनको भागने का रास्ता नहीं मिलता। पीठ पीछे काम करने वाले 10-15 लोग यहां पर शोर मचाते हैं तो फिर तो पूरे देश में आंदोलन फैल जाना चाहिए था। क्यों नहीं फैला 10- 11 महीने हो गए? मैं ऐसे लोगों को कहना चाहता हूं सुधर जाओ...नहीं तो सामना करो आकर हम आपको सुधार देंगे दो मिनट लगेगा केवल...मैं केवल मंत्री नहीं हूं या केवल सांसद या विधायक नहीं हूं। जो लोग हैं विधायक या मंत्री बनने से पहले मेरे बारे में जानते होंगे कि मैं किसी चुनौती से भागता नहीं हूं...।'
दरअसल, मिश्रा केंद्र में मंत्री बनने के बाद पहली बार इलाके में सरकारी कार्यक्रम में शामिल होने आए थे। यहां रास्ते में उनको किसानों ने काले झंडे दिखाकर कृषि कानूनों का विरोध किया था। इसी बात को लेकर मिश्रा नाराज हो गए और मंच से खुलेआम प्रदर्शन करने वालों को धमका दिया। सांसद का धमकी भरा लहजा और किसानों को सुधार देने तक की बात से आक्रोश भड़क गया।
• अजय पेशे से किसान और व्यवसायी हैं और निघासन में बनबीरपुर के रहने वाले हैं। उन्होंने ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई की। उनके दो बेटे और एक बेटी है। राजनीति में आने से पहले वे वकालत करते थे। मिश्रा की छवि इलाके में एक दबंग और बाहुबली नेता के तौर पर मानी जाती रही है।
• शुरुआती दिनों में उन्होंने कुश्ती भी की। इसके अलावा वकालत की प्रैक्टिस भी करते थे। बाद में वे राजनीति में आए और भाजपा और संघ में अपनी पकड़ बनाई। साल 2000 में उन पर हत्या का एक केस भी दर्ज हुआ था। लेकिन, 2004 में स्थानीय अदालत ने उन्हें आरोपमुक्त कर दिया।
• साल 2012 में पहली बार भाजपा ने निघासन विधानसभा सीट से टिकट दिया और वे चुनाव जीते। इसके बाद 2014 में पार्टी ने खीरी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए मैदान में उतारा। मिश्रा ने पार्टी को निराश नहीं किया, बल्कि करीब 1 लाख 10 हजार वोटों से चुनाव जीते। उन्होंने बसपा के प्रत्याशी अरविंद गिरि को हराया।
• साल 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने फिर टिकट दिया और उन्होंने समाजवादी पार्टी की पूर्वी वर्मा को रिकॉर्ड सवा दो लाख वोटों से हराया। जुलाई 2021 में हुए मोदी सरकार के कैबिनेट विस्तार में उन्होंने राज्य मंत्री के तौर पर शपथ ली। इसके बाद उन्हें केंद्रीय गृह राज्य मंत्री की जिम्मेदारी दी गई। वर्तमान में लोक लेखा समिति के सदस्य हैं।
• मौजूदा 17वीं लोकसभा के लिए अजय को मुख्य संसद रत्न अवॉर्ड मिला। ये सम्मान उन्हें सबसे ज्यादा सदन में उपस्थित होने, आचरण और सक्रियता के चलते दिया गया।
• अजय का लखीमपुर खीरी, पीलीभीत, सीतापुर, बहराइच समेत कई जिलों में अच्छी खासी पकड़ मानी जाती है।
लखीमपुर खीरी में हिंसा में चार किसानों समेत 9 लोगों की मौत से सियासी माहौल गरमा गया है। आरोप है कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनू के बेटे आशीष की गाड़ी से किसानों को रौंदा गया। विपक्ष सवाल खड़े कर रहा है और मंत्री मिश्रा को इस्तीफा देने की मांग उठा रहा है। फिलहाल, मिश्रा ने कहा कि उनका बेटा मौके पर मौजूद ही नहीं था। इसके सबूत हैं।