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महंत ने मौत से एक दिन पहले मंगाई थी रस्सी, इसी पर बना फंदा..जिस शिष्य ने उतारा शव उसने सुनाई पूरी कहानी
प्रयागराज (उत्तर प्रदेश). अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (akhada parishad) के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी (Mahant Narendra Giri) का संदिग्ध हालत में सोमवार को निधन हो गया। यह हत्या या फिर आत्महत्या फिलहाल इसको लेकर जांच की जा रही है। पुलिस की जांच में की चौंकाने वाला खुलासे हो रहे हैं। अब इस मामले में हैरान करने वाली बात सामने आई है। बताया जा रहा है कि जिस रस्सी के फंदे से महंत का शव लटका मिला था,उस रस्सी को उन्होंने एक दिन पहले ही अपने सेवकों से बाजार से बुलवाई थी। सेवकों ने जब रस्सी खरीदने की वजह पूछी तो महंत ने कहा कि कपड़े सुखाना हैं।
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दरअसल, यह खुलासा पुलिस ने महंत के सेवकों से पूछताछ के दौरान हुआ है। फॉरेंसिक टीम ने इस रस्सी को अपने कब्जे में लिया है। जिस पर महंत नरेंद्र गिरी का शव लटका मिला था। शिष्यों ने बताया कि वह इस रस्सी को एक दिन पहले पास की एक दुकान से खरीदकर लाए थे। पुलिस ने रस्सी पर मौजदू अंगुलियों के निशान के सैंपल भी सबूत के तौर पर एकत्र कर लिए हैं।
बता दें कि जिस शिष्य ने सबसे पहले मंहत नरेंद्र गिरी को इस हालत में देखा और जिसने सबसे पहले फंदे से शव को उतारा था उसने पूरी कहानी पुलिस के सामने बयां की है। इस शिष्य का नाम सर्वेश द्विवेदी है जो कि अखाड़ा परिषद में ही रहता है। सर्वेश बताया कि कुछ दिन पहले मंहत जी ने हनुमान मंदिर के मुख्य पुजारी आध्या तिवारी और उसके बेटे को हेराफेरी के चलते डांटा था।
सर्वेश द्विवेदी बताया कि महंत नरेंद्र गिरी जी अक्सर कहते थे कि वह अपने शिष्यों के काम और उनकी आदतों से दुखी हैं। इन्होंने मुझे कहीं का नहीं छोड़ा, इनकी वजह से में बहुत परेशान रहने लगा हूं। वह आनंद गिरि से विवाद सुलझने के बाद भी उनसे खुश नहीं थे।
बता दें कि सर्वेश द्विवेदी महंत नरेंद्र गिरी की मौत के पहल चश्मदीद हैं। सर्वेश बताया कि जब वह कमरे में गए तो वह अंदर से बंद था। धक्का मारने पर दरवाजा खुला इसके बाद वह अपने साथियों के साथ अंदर गए। तो वहां देखा कि महंत का शव फंदे से लटका हुआ है, जुबान बाहर निकली है और आंखें चढ़ी हुई थीं। इस दौरान मंठ में और भी कई लौग मौजूद थे।