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जिस मुस्लिम प्रोफेसर का संस्कृत पढ़ाने का हुआ विरोध, उसी के पिता को इस वजह से पद्मश्री देगी मोदी सरकार
वाराणसी (Uttar Pradesh). काशी हिंदू विश्वविद्यालय में जिस मुस्लिम प्रोफेसर फिरोज खान के खिलाफ छात्रों ने प्रदर्शन किया, अब उन्हीं के पिता को मोदी सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित करने का फैसला किया है। भगवान कृष्ण और गाय पर भजन लिखने के लिए रमजान खान को पद्म पुरस्कार देने की घोषणा की गई है।
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बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) में फिरोज खान को संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के साहित्य विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर नियुक्त करने को लेकर विवाद चल रहा था।
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प्रोफेसर फिरोज खान की नियुक्ति को लेकर प्रदर्शन कर रहे छात्रों का कहना था, संस्कृत कोई पढ़ और पढ़ा सकता है, इस पर हमारा ऐतराज नहीं। हमारा ऐतराज यह है कि सनातन धर्म की बारीकियां, महत्व और आचरण का कोई गैर सनातनी (जो दूसरे धर्म का है) कैसे पढ़ा सकता है? शिक्षण के दौरान साल में जब पर्व आते हैं तो हम गौमूत्र का भी सेवन करते हैं तो क्या नियुक्त हुए गैर सनातनी शिक्षक उसका पालन करेंगे।
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फिरोज खान के पिता रमजान खान जयपुर में रहते हैं। वो भगवान कृष्ण और गाय पर भजन लिखते हैं। खुद भी भजनों की प्रस्तुति करते हैं। उनकी पुस्तक श्री श्याम सुरभि वंदना काफी फेमस है। गोसेवा करने वाले रमजान भजन गायक के रूप में पूरे राजस्थान में लोकप्रिय हैं। केंद्र सरकार ने इन्हें पद्मश्री देने की घोषणा की।
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रमजान ने अपनी बेटियों के नाम हिंदी में रखे हैं। उनकी बेटियों के नाम लक्ष्मी और अनीता हैं। इनके चार बेटे हैं। चारों बेटों शकील, फिरोज, वकील और वारिस खान को संस्कृत की शिक्षा दिलाई है।
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