सोने की चेन बचाने के लिए चोरों से भिड़ी, फिर सुबह पटरी पर कटी टांगें कुतर रहे थे चूहे
हटके डेस्क: महिला फौलाद है, चट्टान है। अगर अपने पर आ जाए तो कुछ ही कर गुजरती है। नामुमकिन को मुमकिन बना देती है। इन्हीं मजबूत महिलाओं के लिए 8 मार्च को अंतराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। बात अगर भारत में मजबूत महिलाओं की करें, तो लिस्ट इतनी लंबी है कि कई दिन इसमें निकल जाए। इन महिलाओं के जज्बे को सलाम करने की कड़ी में आज हम बात करेंगे दुनिया की उस पहली दिव्यांग महिला की, जिन्होंने अंटार्कटिका की सबसे ऊंची चोटी माउंट विन्सन पर फतह पाई थी। अपने साहस और हिम्मत के बदौलत दुनियाभर में भारत का डंका बजवाने वाली अरुणिमा की कहानी वाकई प्रेरणदायक है।
| Published : Mar 04 2020, 02:07 PM IST
सोने की चेन बचाने के लिए चोरों से भिड़ी, फिर सुबह पटरी पर कटी टांगें कुतर रहे थे चूहे
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अरुणिमा सिन्हा यूपी के अंबेडकर नगर की रहने वाली हैं। वो राष्ट्रीय स्टार की वॉलीबाल प्लेयर भी रह चुकी हैं।
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स्पोर्ट्स में आगे रहने वाली अरुणिमा सिन्हा की जिंदगी में सबसे बड़ा बदलाव 2011 में आया, जब वो पद्मावती ट्रेन से सफर कर रही थीं।
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उस दौरान ट्रेन में कुछ चेन स्नेचर्स घुसे और उनकी चेन छीनने लगे। अरुणिमा उनसे भिड़ गई।
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जब चोरों को अहसास हुआ कि वो अरुणिमा से चेन नहीं छीन पाएंगे, उन्होंने उसे चलती ट्रेन से फेंक दिया।
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इस हादसे में अरुणिमा के पैर चक्कों के नीचे आ गए और उसके पैर कट गए। पूरी रात अरुणिमा पटरियों पर पड़ी रही। वो उठ भी नहीं पा रही थी। जब सुबह उन्हें उठाया गया, तब उनके पैर चूहे कुतर रहे थे।
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इस हादसे ने अरुणिमा को बुरी तरह तोड़ दिया। लेकिन फिर उसने मजबूती से उठने का फैसला किया।
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पहले उन्होंने रेलवे में नौकरी की। इसके बाद उन्होंने ऊंचाइयों को फतह करना शुरू किया।
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दुर्घटना में अपंग हो जाने के बावजूद अरुणिमा ने दुनिया की कई ऊंची चोटियों पर चढ़ाई की। इनमें अफ्रीका का माउंट किलिमानजारो, यूरोप का एल्ब्रस, ऑस्ट्रेलिया का कोस्किउस्ज्को, अर्जेंटीना का आकोंकागुआ, इंडोनेशिया का पुन्काक जया और माउंट एवरेस्ट शामिल है।
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साल 2015 में अरुणिमा को पद्मश्री और तेनजिंग नेशनल एडवेंचर अवॉर्ड भी मिला।
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नरेंद्र मोदी ने भी अरुणिमा की काफी तारीफ की। साथ ही उनसे साहस के लिए मिसाल भी दी।