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FUNNY: भारत के इन इंजीनियर बाबूओं ने सस्ते कॉलेज से ली डिग्री, फिर बनाई ऐसी सड़कें और इमारत के ठोंक लेंगे माथा
हटके डेस्क: 15 सितंबर को भारत में इंजीनियर्स डे (Engineer's Day) के रूप में मनाया जाता है। इसे भारत के महान इंजीनियर और भारत रत्न से सम्मानित Mokshagundam Visvesvaraya की याद में मनाया जाता है। इस महान इंजीनियर ने कृष्णा राजा सागर डैम का निर्माण किया था। ये अपने समय का एशिया में बना सबसे बड़ा रिजर्वोयर था। भारत के युवाओं में इंजीनियरिंग का क्रेज है। यहां 5 कोर्सेस होते हैं जिसमें हर साल लाखों-हजारों बच्चे एडमिशन लेते हैं। करियर के लिहाज से बात करे तो एक रिसर्च के मुताबिक, 2019 में मेकेनिकल (Mechanical Engineering) में कुल 7 लाख 82 हजार बच्चों ने एडमिशन लिया था। वहीं कंप्यूटर साइंस (Computer Science Engineering) में 8 लाख 80 हजार तो इलेक्ट्रॉनिक्स (Electronics Engineering) में 6 लाख 31 हजार, सिविल (Civil Engineering) में 5 लाख 36 हजार और इलेक्ट्रिकल (Electrical Engineering) में कुल 3 लाख 94 हजार बच्चों ने एडमिशन लिया था। हालांकि, कई ऐसे भी बच्चे होते हैं, जो सिर्फ दोस्तों की देखा-देखी ही इस कोर्स में एडमिशन लेते हैं। इसके बाद सामने आता है कंस्ट्रक्शन फेल्योर का बेहतरीन नमूना। सोशल मीडिया पर ऐसे कई फोटोज शेयर किये जाते हैं, जिसमें कंस्ट्रक्शन में हुई गड़बड़ी दिखती है। इन्हें देखकर आपको भी हंसी आ जाएगी।
| Published : Sep 15 2020, 09:15 AM IST / Updated: Sep 15 2020, 11:52 AM IST
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जिस भी इंजीनियर को इस सड़क का कॉन्ट्रैक्ट मिला होगा, उसकी डिग्री पर सवाल उठना लाजमी है।
देखी है कभी ऐसा, सड़क पर स्पीड बम्प्स की जगह फुटपाथ पर ही बना डाला।
इन सीढ़ियों से आप कहां जाएंगे इसका कोई अंदाजा है आपको।
पेड़ से इस इंजीनियर को इतना प्यार था कि उसने कुछ ऐसी सड़क बना डाली।
इंजीनियरिंग में बेवकूफी का एक और नमूना।
ऐसे इंजीनियर के होने पर ट्रेन एक्सीडेंट ना हो तो भला क्या हो?
इस बेसिन का इस्तेमाल करने से पहले सोच लें।
जब टॉयलेट सीट सेट करने में गलती हो ही गई है तो उसके दरवाजे के साथ ही जुगाड़ कर लें।
इस गेट के इस्तेमाल से किसकी कितनी प्राइवेसी बचेगी, कभी सोचा है आपने?
इस पंखे को चलाने के लिए और कंट्रोल करने के लिए शायद आपको काफी मेहनत करनी पड़ेगी।
इन सीढ़ियों पर ना तो पैरों वाला इंसान चढ़ पाएगा ना ही व्हील चेयर पर बैठा कोई इंसान। जाने क्या सोचकर इंजीनियर ने इन सीढ़ियों को बनाया होगा।
फायर इमरजेंसी के लिए बनाए गए इस बॉक्स को जरुरत के वक्त शायद ही खोला जा पाएगा।
इस एटीएम से पैसे निकालने से पहले आपको अच्छी-खासी एक्सरसाइज करनी पड़ेगी।
अब इस एटीएम की बात करें, तो दिन में 5 ट्रांसेक्शन करने के बाद आपके 6 पैक्स तो बन ही जाएंगे।
लो, अब जैसा उन्होंने डिजाइन बनाया, इंजीनियर बाबू ने हूबहू वैसा ही बना डाला। इसे कहते हैं भारत का टैलेंट।
स्टेडियम में लगी लाल कुर्सियां कुछ ऐसे लगाई गई है कि आप शो तो एन्जॉय नहीं कर पाएंगे लेकिन दीवार जरूर देख पाएंगे।
होटल में ऐसी खिड़की देखकर आप क्या कहेंगे? जाहिर है, बनाने वाले इंजिनियर बाबू के टैलेंट के कायल हो जाएंगे।
अब इस इंजीनिएर ने घर तो बनाया लेकिन बालकनी बनाते हुए उसने खिड़की ही नही बनाई।
इस गैरज में गाड़ियां कैसे पार्क होगी, शायद इसका कोई जवाब इंजीनियर के पास भी नहीं होगा।
सीसीटीवी तो है लेकिन इसके आगे लगे बोर्ड से कैसे नजर रखी जाएगी।