760 रुपए का टिकट, वर्ष, 2020 और 23th ब्रांच, जानिए क्यों तुसाद म्यूजिक पर भारी पड़े ये अंक
वर्ष, 2000 की बात है, जब लंदन के मशहूर तुसाद म्यूजियम में अमिताभ बच्चन के मोम के पुतले (Statue) को जगह मिली थी। इसके बाद भारत में इस म्यूजियम को लेकर क्रेज बढ़ा। इसके बाद 1 दिसंबर, 2017 को नई दिल्ली के कनॉट प्लेस स्थित रीगल बिल्डिंग में इस म्यूजियम की 23वीं ब्रांच डाली गई। सबकुछ पहले से ही ठीकठाक नहीं था, ऊपर से कोरोना आ टपका। मार्च, 2020 में इस म्यूजियम को अस्थायी तौर पर बंद किया गया था। लेकिन अब इस पर हमेशा के लिए ताला डल रहा है। वजह, 760 रुपए के टिकट के चलते दर्शकों की कमी और कोरोन की मार। जगह का किराया, बिजली का बिल आदि खर्चे वहन नहीं कर पाने के कारण म्यूजियम को बंद किया जा रहा है। बता दें कि फ्रांसीसी कलाकार मैडम मेरी तुसाद (1 दिसंबर, 1761- 16 अप्रैल, 1850) ने लंदन में 1835 में पहला म्यूजियम खोला था। जानिए म्यूजियम से जुड़े कुछ फैक्ट...
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नई दिल्ली के म्यूजियम में भारत की 50 चर्चित सेलिब्रिटीज को जगह दी गई थी। इनमें फिल्म, खेल और राजनीतिक हस्तियां शामिल हैं। इस म्यूजियम का संचालन मर्लिन एंटरनटेनमेंट कर रही थी।
(म्यूजियम में मोदी के मोम के पुतले को भी जगह दी गई थी)
FACT: भारत में म्यूजिम खोलने के लिए मर्लिन एंटरनटेनमेंट ने 10 मिलियन यूरो का निवेश किया था। लेकिन यह प्रोजेक्ट घाटे का सौदा साबित हुआ। लॉकडाउन में कंपनी किराया माफ कराना चाहती थी, वो भी संभव नही हुआ।
(संग्रहालय में अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान, सलमान खान आदि भारतीय फिल्म कलाकारों को जगह दी गई थी)
FACT: कनॉट प्लेस की रीगल बिल्डिंग में 2 मंजिला भवन को किराये पर लेकर यह म्यूजियम बनाया गया था। म्यूजियम की हालत आदमनी अठन्नी, खर्चा रुपया वाली हो चली थी।
(विराट कोहली का मोम का पुतला- फोटो सौजन्य-AFP)
FACT: करीब 8 महीने बंद रहने से म्यूजियम की कमाई शून्य पर पहुंच गई थी। बता दें कि एक मोम के पुतले को बनाने पर करीब डेढ़ करोड़ रुपए का खर्चा आता है। वहीं, उसके रखरखाव पर भी हर महीने लाखों रुपए खर्च होते हैं। (म्यूजियम में कलाम और मोदी का मोम का पुतला)
FACT: तुसाद म्यूजिम लंदन के अलावा लॉस एंजिलस, लॉसवेगास, वॉशिंगटन डीसी, न्यूयॉर्क, शंघाई, बैंगकॉक, बर्लिन आदि में है।
(मशहूर धावक मिल्का सिंह अपने पुतले के साथ)
FACT:म्यूजियम में फिल्म कलाकारों को खूब तरजीह दी गई। शाहरुख खान का मोम का पुतला।
FACT:खर्च बढ़ने और आमदनी घटने से म्यूजियम घाटे का सौदा साबित हुआ। दूसरा, भारत में महंगा टिकट खरीदकर देखने वाले कम हैं।
(अपने पुतले के साथ दिलजीत सोसांझ)