2 दिन में काट दिए गए हजारों जानवर, विरोध के बावजूद फिर खेला गया खूनी खेल
| Published : Dec 17 2019, 11:56 AM IST / Updated: Dec 17 2019, 07:40 PM IST
2 दिन में काट दिए गए हजारों जानवर, विरोध के बावजूद फिर खेला गया खूनी खेल
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इस मेले का आयोजन एक महीने के लिए किया जाता है। हर पांच साल में एक बार आयोजित होने वाले इस मेले का एनिमल एक्टिविस्ट काफी विरोध करते हैं।
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गढ़ीमाई मेला गढ़ीमाई देवी के लिए आयोजित की जाती है। इसमें लोग गढ़ीमाई देवी के मंदिर जाते हैं और अपनी श्रद्धा के हिसाब से बकरे से लेकर भैंस की बलि चढ़ाते हैं।
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पिछली बार जब इस मेले का आयोजन किया गया था, तब इसमें करीब 2 लाख जानवरों की बलि चढ़ाई गई थी। इस बार भी हजारों की संख्या में जानवरों को कुर्बान किया गया।
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भारत से करीब 10 हजार श्रद्धालुओं ने इसमें हिस्सा लिया। इस मेले में बलि की शुरुआत 5 अलग-अलग तरह के जानवरों, चूहा, बकरी, कबूतर, मुर्गी और सूअर के साथ होती है।
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जो भी अपनी मन्नत पूरी करवाना चाहते हैं या जिनकी मन्नत पूरी हो चुकी है, वो यहां बलि के लिए जानवर चढ़ाते हैं।
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इन जानवरों की बलि चढ़ाने के लिए तेजधार चाकू का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। जानवरों को तड़पाकर उनकी बलि दी जाती है।
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इस मेले में 50 लाख से ज्यादा लोग पहुंचते हैं। इनमें से अधिकांश बलि के लिए जानवर ले कर पहुंचते हैं।
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इस मेले में कई भैंस भी आते हैं। इनकी भी बलि मंदिर परिसर में दी जाती है।