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दिव्यांग बेटे को बोझ समझ मां-बाप ने बेचा, बूढ़ी बुआ ने भिखमंगों के दलदल से निकाल बनाया चिकन टिक्का किंग

हटके डेस्क: कहते हैं ना कि लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती और कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। जब जिंदगी में कई मुसीबतें आईं, तब भी तेजिंदर मेहरा ने हार नहीं मानी। आज कोरोना में बेरोजगार होने के बाद तेजिंदर टिक्का किंग के नाम से मशहूर हो गए हैं। उनकी जिंदगी के संघर्ष की कहानी तब से शुरू हुई जब उनका जन्म हुआ था।एक हाथ के बिना जन्में तेजिंदर को आज लोग जानते हैं तो बस उनकी लगन और उनकी बुआ के आशीर्वाद की वजह से। सोशल मीडिया पर तेजिंदर की स्टोरी कई लोगों को इंस्पायर कर रही है। आइये आपको बताते हैं कैसे आज सोशल मीडिया सेंसेशन बने तेजिंदर ने संघर्षों से पार पाया... 

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Asianet News Hindi
Published : Dec 01 2020, 12:27 PM IST
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दिल्ली के रहने वाले 26 साल के तेजिंदर बताते हैं कि जब वो मात्र दो महीने के थे तब उनके माता-पिता ने उन्हें बीस हजार में बेच दिया था। उनका जन्म एक हाथ के बिना हुआ था। जिंदगी में आगे कई मुसीबतें थी।  

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उनके माता-पिता ने ही तेजिंदर का सौदा कर दिया। उन्हें भीख मांगने वाले गिरोह ने ख़रीदा था।  लेकिन तेजिंदर की बुआ उनके लिए आगे आई। उन्होंने तेजिंदर को पालने का फैसला किया। 
 

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पैसों की तंगी के बावजूद तेजिंदर की बुआ ने उन्हें पढ़ाया। साथ ही उनका ख्याल रखा। तेजिंदर आगे पढ़ना चाहते थे लेकिन पैसों की कमी के कारण ऐसा नहीं हो पाया। इसके बाद तेजिंदर ने अपनी बुआ का खर्च उठाने के लिए काम की तलाश शुरू की।  

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इसी दौरान उनका वर्कआउट से प्रेम बढ़ा। पहले तेजिंदर ने घर पर वर्कआउट करना शुरू किया। इसके बाद उन्होंने घर के पास एक सरकारी जिम ज्वाइन किया। जहां कुछ समय की ट्रेनिंग के  बाद उन्होंने प्राइवेट जिम ज्वाइन कर लिया। 

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जिम में उनके कोच दिनेश ने 2016 में मिस्टर दिल्ली प्रतियोगिता में नाम रजिस्टर करवाने का सुझाव दिया। कोच की बात सुन तेजिंदर ने ऐसा किया भी और टाइटल जीत भी लिया। इसके बाद 2017 और 18 में भी तेजिंदर ने टाइटल जीता। 

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जहां वो एक के बाद एक टाइटल जीत रहा था, उसके घर की हालत बिगड़ रही थी। घर के खर्चों के लिए पैसे नहीं थे। इसके बाद तेजिंदर फिटनेस कोच बन गए। लेकिन कोरोना ने जिम बंद करवा दिया, जिससे तेजिंदर को  फिर मुश्किल का सामना करना पड़ा। 

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लॉकडाउन खुलने के बाद तेजिंदर ने चिकन पॉइंट की शुरुआत की। इसके लिए उन्होंने अपने ट्रेनर से तीस हजार रूपये उधार लिए और दिल्ली में एक स्टॉल की शुरुआत की। देखते ही देखते उनके स्टॉल पर लोगों की भीड़ उमड़ने लगी। 
 

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हालांकि, एक बार फिर दिल्ली में बढ़ते कोविड केस के कारण उनका बिजनेस प्रभावित हुआ है। तेजिंदर के स्टॉल में हाफ प्लेट टिक्का डेढ़ सौ और फूल प्लेट की कीमत ढाई सौ है। वो एक हाथ से ही टिक्का बनाकर लोगों को सर्व करते हैं। 

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