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सिर्फ करतारपुर ही नहीं, ये हैं पाकिस्तान की वो पांच जगहें जो सिखों के साथ हिंदुओं के लिए महत्वपूर्ण
| Published : Nov 04 2019, 05:34 PM IST / Updated: Feb 28 2020, 12:26 PM IST
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करतार पुर साहिब- सिखों के पहले गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल 1469 को तलवंडी (अब पाकिस्तान में) में हुआ था। जिस जगह पर गुरु नानक देव जी का जन्म हुआ था, आज वहां गुरुद्वारा ननकाना साहिब है। यही करतारपुर दरबार साहिब है। यही पर नानक देव ज्योति में समा गए थे। जिसके बाद यहां भव्य गुरूद्वारा बनाया गया। भारत के लोग इसे दूरबीन से देखते हैं। यह पाकिस्तान के नारेवल में स्थित है और भारतीय सीमा से मात्र 3 किमी. दूर है। यहां एक कुआं भी है, साथ ही लंगर की व्यवस्था है। गुरूद्वारे को अब भारतीयों के लिए भी खोल दिया गया है। इस साल 550 वें प्रकाश पर्व पर भारत से कई जत्थे जाएंगे।
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कटाश राज मंदिर- पाकिस्तान में सबसे पौराणिक और ऐतिहासिक मंदिर शिव जी का कटाश राज मंदिर है। इसकी प्राचीनता और कलाकृति देखकर लोग दंग रह जाते हैं। यह लाहौर से 270 किमी. की दूरी पर चकवाल जिले में स्थित है। इस मंदिर के पास भव्य सरोवर है जिसमें स्नान करने से मानसिक शांति मिलती है। ऐसा माना जाता है कि यहां युधिष्ठर ने यक्ष के प्रश्नों का उत्तर दिया था। यहां एक गुफा भी है। इस मंदिर की भव्यता देखते ही बनती है।
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हिंगलाज देवी मंदिर- पाकिस्तान में स्थित हिंग लाज देवी का मंदिर 51 शक्तिपीठों में गिना जाता है। यह मदिर पाक के बलूचिस्तान के लयारी जिले के हियोंग नदी के किनारे बना है। यह जगह इतनी खूबसूरत है कि यहां आने के बाद जाने का मन नहीं होता। कहा जाता है कि राम के रावण को मारकर लौटने के बाद उन्होंने यहां तपस्या की थी। मंदिर का काफी महत्व है क्योंकि यहां कोई मूर्ति नहीं है बल्कि एक छोटे आकार की शिला है जिसकी पूजा की जाती है। यह मंदिर एक पर्वत के नीचे बना है यहां शिव जी का प्राचीन त्रिशूल भी रखा है।
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शवाला तेजा सिंह मंदिर- पाकिस्तान में एक हजार साल पुराना मंदिर शवाला तेजा सिंह मंदिर है। यह सियालकोट में बना है। सरकार की अनदेखी के कारण प्रसिद्ध शिव भगवान का यह मंदिर खंडर में बदल चुका है। इस मंदिर की बनावट और कलाकृति बेमिसाल है जो आज भी टिका हुआ है। भारत के अयोध्या में हुए बाबरी मस्जिद विवाद के बाद इस मंदिर में भी तोड़फोड़ की गई थी। इस घटना के बाद से मंदिर बंद था लेकिन साल 2019 में इसे फिर से खोल दिया गया और दिवाली पर पूजन हुआ जिसके बाद हिंदुओं ने मिठाई बांटी।
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पंजा साहिब गुरुद्वारा- सिखों के गुरू नानक देव के अधिकतर तीर्थ स्थल पाकिस्तान में स्थित हैं। इनमें करतारपुरा साहिब के अलावा गुरुद्वारा पंजा साहिब भी हैं। यह पंजाब प्रांत के हसन अब्दल शहर में है। इस गुरुद्वारे में आज भी वह पत्थर मौजूद है, जिसे गुरु नानक देव ने अपने हाथ (पंजे) से रोका था। इसलिए इसे पंजा साहिब कहा जाता है। बहरहाल, गुरुद्वारा श्री पंजा साहिब में 24 घंटे चलने वाली लंगर व्यवस्था है और सरोवर भी है, जहां संगतें आकर स्नान करती हैं। गुरु नानक जयंती के मौके पर पाकिस्तान के अलावा हिंदुस्तान से बहुत बड़ी संख्या में संगतें आती हैं। इस साल भी 1100 श्रद्धालु पाकिस्तान गए हैं जहां वह नगर कीर्तन में शामिल होंगे।