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Heartbreaking तस्वीरें: हजारा-शिया मुसलमानों का जानी दुश्मन बना ISIS-K; अल्लाह का घर भी नहीं छोड़ा
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बता दें कि 15 अगस्त को अफगानिस्तान पर कब्जा करने वाले तालिबान की सरकार में यह अब तक का सबसे बड़ा आतंकवादी हमला है। तालिबान और ISIS एक-दूसरे को जानी दुश्मन हैं।
ISIS शिया और हजारा समुदाय के खून का प्यासा है। अफगानिस्तान की आबादी में शिया लगभग 20 प्रतिशत हैं। उनमें से कई हजारा हैं, जो एक जातीय समूह है जिसे दशकों से अफगानिस्तान में भारी सताया गया है।
इससे पहले अक्टूबर 2017 में एक अकेले IS आत्मघाती हमलावर ने काबुल के पश्चिम में शाम की नमाज के लिए इकट्ठा हुए एक शिया मस्जिद पर हमला किया, जिसमें 56 लोग मारे गए और महिलाओं और बच्चों सहित 55 घायल हो गए थे।।
(तस्वीर गुरुवार को हुए हमले की)
इस साल मई में राजधानी के एक स्कूल के बाहर हुए सिलसिलेवार बम धमाकों में कम से कम 85 लोग मारे गए थे, जिनमें ज्यादातर लड़कियां थीं। हजारा समुदाय पर हुए इस हमले में 300 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।
(तस्वीर गुरुवार को हुए हमले की)
अफगानिस्तान के सूचना और संस्कृति मंत्रालय के सांस्कृतिक आयोग के उप प्रमुख अहमदुल्ला वासीक ने कहा कि घटना की जांच शुरू कर दी गई है। स्थानीय सुरक्षा अधिकारियों ने बताया कि जिस वक्त हमला हुआ उस वक्त 300 सौ से ज्यादा लोग जुमे की नमाज में शामिल हो रहे थे।
इस हमले की जिम्मेदारी ISIS-K ने ली है। इस आतंकवादी संगठन ने हमलावार की तस्वीर जारी की है। हमलावर का नाम मोहम्मद इघुरी(Muhamed Ighuri) बताया जाता है।
चौंकाने वाली बात यह है कि तालिबान भी हजारा समुदाय को पसंद नहीं करता। तालिबान के सत्ता में आने के बाद हजारा समुदाय पर अत्याचार बढ़ गया है।
हमले के बाद की तस्वीर। इस हमले के बाद दुनियाभर में आतंकवाद को लेकर चिंता गहरा गई है। तालिबान के लिए ISIS से निपटना एक बड़ी चुनौती है।