- Home
- World News
- धीरे-धीरे दफन हो रहा 5500 वर्ष पुराना मुर्दों का टीला, इसे पाकिस्तान की रानी भी कहते हैं, Shocking Story
धीरे-धीरे दफन हो रहा 5500 वर्ष पुराना मुर्दों का टीला, इसे पाकिस्तान की रानी भी कहते हैं, Shocking Story
- FB
- TW
- Linkdin
जियो न्यूज लिखता है कि मोहनजोदड़ो दुनिया का 5,500 साल पुराना विरासत स्थल है। इसे रानी साइट के रूप में जाना जाता है, क्योंकि दुनिया में किसी भी पुरातात्विक खोजों में सभ्यता की योजना और प्रशासनिक क्षमता का कोई अन्य उदाहरण नहीं मिला है। यानी प्राचीन सभ्यता का यह शहर बेहतर प्लानिंग का एक गजब उदाहरण है। जुलाई में सिंध में आई जबर्दस्त बाढ़ से मोहनजोदड़ो बुरी तरह प्रभावित हुआ है। लेकिन इस विरासत स्थल की वर्तमान बिगड़ती स्थिति के लिए अकेले प्राकृतिक आपदा को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। रिपोर्ट ने विरासत के नष्ट होने के लिए सरकार को भी जिम्मेदार ठहराया है।
रिपोर्ट में कहा गया दुनिया भर में मोहनजोदाड़ो जैसे कई अन्य विरासत स्थल हैं। जैसे पोलिनेशिया का ईस्टर द्वीप(Polynesia’s Easter Island) और पेरू का चान चान( Peru’s Chan Chan), जो प्राकृतिक आपदाओं से ग्रस्त रहते हैं; हालांकि,ग्लोबल आर्गेनाइजेशंस के सपोर्ट और सरकार द्वारा नियमित रखरखाव आपदाओं के कारण होने वाले नुकसान को कम करता है। दुर्भाग्य से मोहनजोदड़ो में इसके विपरीत हो रहा है।
रिपोर्ट में लिखा गया कि इंटरनेशन आगेनाइजेशंस दुनिया भर में पुरातात्विक स्थलों के संरक्षण(preservation of archaeological sites) के लिए अरबों डॉलर देता है। यूनाइटेड नेशंस एजुकेशनल, साइंटिफिक एंड कल्चर आर्गेनाइजेशन (UNESCO) ने भी मोहनजोदाड़ो के लिए नेशनल फंड की स्थापना की है, जिसने 1990 के दशक में अपनी स्थापना के बाद से लाखों डॉलर प्रदान किए हैं। अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार, पुरातात्विक संरचनाओं की सुरक्षा और संरक्षण के लिए विशेषज्ञों की नियुक्ति की जाती है। यानी ईंटों से लेकर सभी संरक्षित स्ट्रक्चर की टूट-फूट को वास्तविकता के साथ उसी स्वरूप में लाना होता है। लेकिन मोहनजोदड़ो को एक ठेकेदार को सौंप दिया गया है, जिसका पुरातत्व से कोई लेना-देना नहीं है। हालांकि बात यहीं खत्म नहीं होती है। विरासत स्थल की ओर अज्ञानता ने रानी स्थल को बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है, जिसे प्रांतीय मंत्री ने भी स्वीकार किया है।
विशेषज्ञों के अनुसार, अनुभवहीन लोगों द्वारा मोहनजोदड़ो का खराब प्रबंधन और संचालन ऐसे कारण हैं जिन्होंने रानी स्थल को केवल खंडहर बना दिया है। (मोहनजोदाड़ो की सड़कें)
मोहन जोदड़ो का सिन्धी भाषा में अर्थ है-मुर्दों का टीला। यह दुनिया का सबसे पुराना नियोजित और उत्कृष्ट शहर माना जाता है। यह नगर अवशेष सिन्धु नदी के किनारे सक्खर ज़िले में स्थित है। मोहन जोदड़ो शब्द का सही उच्चारण है 'मुअन जो दड़ो'। इसकी खोज राखालदास बनर्जी ने 1921 ई. में की। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के महानिदेशक जान मार्शल के निर्देश पर खुदाई का कार्य शुरु हुआ।
(मोहनजोदाड़ो: एक सिन्धी अज्रुक पहने हुए पुरोहित-नरेश की 2500 ईपू की प्रतिमा। यह राष्ट्रीय संग्रहालय, कराची, पाकिस्तान में रखी है)
पिछले 100 वर्षों में अब तक इस शहर के एक-तिहाई भाग की ही खुदाई हो सकी है। अब वह भी बंद हो चुकी है। माना जाता है कि यह शहर 125 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ था। इसमें जल कुड भी हुआ करता था। यह पाकिस्तान के सिंध प्रांत के लरकाना जिले में स्थित है।
(मोहनजोदाड़ो से मिली प्रसिद्ध नृतकी शिल्प)
मोहन जोदड़ो की दैव-मार्ग (डिविनिटि स्ट्रीट) नामक गली में करीब 40 फीट लम्बा और 25 फीट चौड़ा प्रसिद्ध जल कुंड मिला था, जिसकी गहराई 7 फीट है।
मोहनजोदाड़ो पर जारी रिसर्च में उस समय की बड़ी मात्रा में इमारतें, धातुओं की मूर्तियां और मुहरें आदि मिले। फिलहाल यह सभ्यता रखरखाव के अभाव में दम तोड़ रही है।
यह भी पढ़ें-यहां भाई-बहन, मां-बेटे और पिता-बेटी के बीच रजामंदी से बनते हैं फिजिकल रिलेशन?