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सीरिया में शिया V/s सुन्नी की लड़ाई से क्या दुनिया मौत के मुहाने पर खड़ी है, एक चौंकाने वाला खुलासा
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सीरिया में राष्ट्रपति बशर अल असद के खिलाफ करीब 10 साल से चले आ रहे गृहयुद्ध ने इस प्राचीन देश की नींव तहस-नहस करके रख दी है। दुनिया के कई बड़े देश इस गृहयुद्ध में कूदे हुए हैं।
सीरिया की आबादी करीब 1.7 करोड़ रही है। यहां 87 प्रतिशत मुसलमान और 10 प्रतिशत क्रिश्चियन रहते हैं। यहां अरबी के अलावा इंग्लिश और फ्रेंच बोली जाती है। सीरिया एक ऐसा देश है, जिसने रोम, मंगोल और तुर्कों तक के हमले झेले। यहां रहने वालीं कुर्द, सुन्नी, शिया, ईसाई सहित अन्य कौमें आपस में लड़ती रहीं। इसका फायदा उठाकर यूरोप ने इस पर कब्जा कर लिया। फोटो सोर्स: warontherocks.com
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सीरिया भी फ्रांस के चंगुल से मुक्त हुआ, लेकिन राजनीतिक परेशानियों में उलझ गया। इसने 160 में इजिप्ट के साथ मिलकर यूनाइटेड अरब रिपब्लिक बनाया। फिर 1967 में जॉर्डन और इजिप्ट के साथ मिलकर युद्ध किया। इसमें यह हार गया। इसके बाद सीरिया के हालत बिगड़ते चले गए। फोटो सोर्स:www.newyorker.com
1970 में हाफिज अल असद ने सीरिया पर तानाशाही तरीके से अपनी सरकार बना ली। ये शिया कौम से हैं और बाथ पार्टी चलाते थे। बाथ का अर्थ होता है पुनर्जारण। 1982 में मुस्लिम ब्रदरहुड ने असद के खिलाफ जंग छेड़ दी। इसमें हजारों सीरियन मारे गए। 2000 में हाफिज असद भी मारा गया। इसके बाद उसके बेटे अल असद तानाशाह बनकर देश पर काबिज हो गया। फोटो सोर्स: Bulent Kilic/AFP/Getty Images
2011 में असद के खिलाफ डेमोक्रेसी की मांग को लेकर उग्र प्रदर्शन होने लगे। यहां असद ने विद्रोहियों पर सेरीन नामक गैस का इस्तेमाल किया। यह गैस दिमाग पर असर करती है। इसके बाद उग्रवादी लोगों ने असद के खिलाफ हथियार उठा लिए। फोटो सोर्स: AP Photo/Felipe Dana
सीरिया के गृहयुद्ध में तमाम देश अपनी सुविधा के हिसाब से असद या विद्रोहियों की मदद कर रहे हैं। अमेरिका जहां असद को हटाने के लिए विद्रोहियों को सपोर्ट कर रहा है, वहीं रूस असद के सपोर्ट में है। फोटो सोर्स: Reuters
सितंबर, 2015 में रूस ने सीरिया पर हमला किया। वहीं, ईरान असद के सपोर्ट में शिया आतंकवादी गुट हिजबुल्ला को आर्थिक मदद दे रहा है। सऊदी अरब भी सुन्नी विद्रोहियों को मदद कर रहा है।
फोटो सोर्स: SANA, via Associated Press
पिछले एक दशक में सीरिया में लाखों लोग मारे जा चुके हैं। 50-60 लाख से ज्यादा सीरिया छोड़ चुके हैं। यूएन ने कुछ साल पहले एक रिपोर्ट जारी की थी। इसमें कहा गया कि सीरिया की 70 प्रतिशत आबादी खाने-पीने को मोहताज है। स्कूल-हॉस्पिटल तो दूर की कौड़ी।
संयुक्त राष्ट्र में भारत की चिंता इसलिए भी बाजिव है, क्योंकि 2017 में पहली बार केमिकल अटैक की खबरें सामने आई थीं। इसमें सैकड़ों बच्चों की मौत हो गई थी। अब माना जा रहा है कि यहां विद्रोही फिर से रासायनिक हथियार जुटा रहे हैं। 2013 में सीरिया सरकार पर रासायनिक हमले करने का आरोप लगा था।
फोटो सोर्स: AP
अमेरिका ने 2014 से लेकर अब तक सीरिया में असद के खिलाफ कई हवाई हमले किए। सीरिया की लड़ाई अब ऐसे मोड़ पर आकर खड़ी है, जिसका असर सारी दुनिया पर पड़ सकता है।