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पाकिस्तान गृहयुद्ध की ओर: 20 हजार से अधिक कट्टरपंथी इस्लामाबाद की ओर बढ़े, रोकने के लिए कंटेनर्स लगाए गए
इस्लामाबाद। पाकिस्तान (Pakistan) आर्थिक तौर पर दिवालिया होने की कगार पर तो है ही, आतंरिक सुरक्षा को लेकर इस मुल्क का खस्ता हाल है। कट्टरपंथी सरकार पर हावी होते जा रहे हैं और सरकार मूकदर्शक बनी हुई है। अप्रैल में भारी हिंसा को अंजाम देने वाले प्रतिबंधित संगठन तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (Tehreek-E-Labbaik Pakistan) ने एक बार फिर अपनी मांगों को लेकर आक्रामक मुद्रा में है। संगठन ने अपनी मांगों के लिए इस्लामाबाद तक मार्च शुरू कर दिया है। तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP)ने इमरान सरकार को फिर चुनौती देते हुए अपनी सभी चार मांगों को पूरा करने की चेतावनी दी है। संगठन की चार मांगों में फ्रांस के राजदूत को मुल्क से निकाला जाना भी है। बीस हजार से अधिक कार्यकर्ता मार्च में शामिल हैं। ये लोग इस्लामाबाद से करीब 14 किलोमीटर की दूरी पर हैं। संगठन ने चेताया है कि अगर उनको रोकने की कोशिश किसी ने की तो जो भी हिंसा होगी उसकी जिम्मेदार सरकार होगी। उधर, इमरान सरकार प्रतिबंधित संगठन की तीन अन्य मांगों को तो मानने को तैयार है लेकिन एक मांग को लेकर वह राजदूत को निकाले जाने मांग मानने से इनकार कर दिया है।
| Published : Oct 27 2021, 07:44 PM IST
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सरकार ने मार्च रोकने के लिए खड़े किए कंटेनर्स
तहरीक-ए-लब्बैक (TLP) की इस्लामाबाद तक मार्च को रोकने के लिए इमरान सरकार ने हर संभव कोशिश की है। सरकार ने आंदोलनकारियों को रोकने के लिए सड़कों पर कंटेनर्स खड़े कर दिए हैं। भारी मात्रा में जगह-जगह पुलिस फोर्स तैयार कर दिया गया है। कई जगह सड़क के किनारे बड़े-बड़े गड्ढे खोद दिए गए हैं ताकि तहरीक-ए-लब्बैक की गाड़ियां वहां से नहीं निकल सकें। हालांकि, संगठन के लोग झुंड में ही सड़कों पर इस्लामाबाद के लिए निकल चुके हैं। बताया जा रहा है कि संगठन के पूरे देश में लाखों कार्यकर्ता है। बीस हजार से अधिक कार्यकर्ता मार्च में शामिल हैं। ये लोग इस्लामाबाद से करीब 14 किलोमीटर की दूरी पर हैं। संगठन ने चेताया है कि अगर उनको रोकने की कोशिश किसी ने की तो जो भी हिंसा होगी उसकी जिम्मेदार सरकार होगी।
क्या है TLP की मांग?
तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान का कट्टरपंथी संगठन है। टीएलपी पैगंबर मोहम्मद की बेअदबी के मामले को लेकर काफी दिनों से आंदोलित है। उसकी मांग है कि पैगंबर की बेअदबी मामले में फ्रांस के राजदूत को देश से निकाला जाए। संगठन प्रमुख साद रिजवी को जेल से रिहा किया जाए। संगठन पर से प्रतिबंध हटाया जाए। इसके अलावा उसके लोग जो जेल में बंद हैं उनको भी रिहा किया जाए।
अप्रैल में संगठन लगा था बैन
कट्टरपंथी संगठन तहरीक-ए-लब्बैक पर पाकिस्तान ने अप्रैल में ही प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी। वहां के आतंकवाद निरोधी कानून के तहत संगठन पर कार्रवाई की गई है। तहरीक-ए-लब्बैक के प्रमुख मौलाना साद रिजवी की गिरफ्तारी के बाद उसके समर्थकों ने पूरे पाकिस्तान में हिंसक प्रदर्शन शुरू कर दिया था जिसमें सात लोगों की मौत होने के साथ कम से कम तीन सौ पुलिसवाले जख्मी हो गए थे। पाकिस्तान के आंतरिक मामलों के मंत्री शेख रशीद अहमद ने बताया था कि तहरीक-ए-लब्बैक को एंटी टेररिज्म एक्ट 1997 के नियम 11बी के तहत बैन करने का निर्णय लिया गया है। पंजाब प्रांत की सरकार द्वारा मिले प्रस्ताव पर सरकार ने यह निर्णय लिया है। मंत्री रशीद अहमद ने बताया कि मारे गए लोगों में कई पुलिसवाले शामिल थे जबकि 340 से अधिक जवान घायल हो गए थे।
इस वजह से पाकिस्तान में फैली थी हिंसा
मौलवी साद रिजवी ने पैगंबर मोहम्मद का चित्र प्रकाशित किए जाने को लेकर फ्रांस के राजदूत को पाकिस्तान से निष्कासित करने की मांग सरकार से की थी। रिजवी ने पाकिस्तान की सरकार को धमकी दी थी कि अगर राजदूत पर कार्रवाई नहीं की जाती तो उग्र प्रदर्शन होंगे। इस बयान के बाद पुलिस ने साद को 12 अप्रैल को गिरफ्तार कर लिया था। साद की गिरफ्तारी के बाद पाकिस्तान में उग्र हिंसक प्रदर्शन होने लगे थे।
इमरान सरकार ने किया था वादा
दरअसल, पैगंबर मोहम्मद के चित्र को प्रकाशित करने के मामले में बीते साल नवम्बर में भी तहरीक-ए-लब्बैक ने काफी बड़ा प्रदर्शन किया था। इस वक्त बैकफुट पर आई इमरान खान की सरकार ने लिखित आश्वासन दिया था कि सरकार पाकिस्तान में फ्रांस के राजदूत को निष्कासित कर देगी लेकिन ऐसा हुआ नहीं। पहले सरकार को फरवरी महीने तक कार्रवाई करने को कहा था लेकिन अब 20 अप्रैल तक यह मौका दिया गया था। लेकिन उसके पहले ही टीएलपी प्रमुख को अरेस्ट कर लिया गया था। साद रिजवी छह माह से जेल में है।
क्यों फ्रांस के राजदूत को निकाले जाने से परेशानी बढ़ेगी
तहरीक-ए-लब्बैक का कहना है कि टीएलपी की मांग को सरकार नहीं मान सकती। सरकार का कहना है कि अगर ऐसा किया गया तो मुल्क को इसके गंभीर नतीजे भुगतने होंगे। यूरोपीय देश पाकिस्तान के खिलाफ हो जाएंगे। जीएसपी प्लस स्टेटस खत्म हो जाएगा और पाकिस्तानियों का यूरोप जाना मुश्किल हो जाएगा।
पांच साल पहले पड़ी थी टीएलपी की नींव
तहरीक-ए-लब्बैक की स्थापना खादिम हुसैन रिजवी ने 2017 में की थी। वे पंजाब के धार्मिक विभाग के कर्मचारी थे। साथ ही लाहौर की एक मस्जिद के मौलवी थे। लेकिन साल 2011 में जब पुलिस गार्ड मुमताज कादरी ने पंजाब के गवर्नर सलमान तासीर की हत्या की तो उन्होंने कादरी का खुलकर समर्थन किया। जिसके बाद उन्हें नौकरी से निष्कासित कर दिया गया।
जब 2016 में कादरी को दोषी करार दिया गया तो ईश निंदा और पैगंबर के 'सम्मान' के मुद्दों पर देशभर में विरोध शुरू किया। खादिम ने फ्रांस को एटम बम से उड़ाने की वकालत की थी। पिछले साल अक्टूबर में खादिम रिजवी की मौत हो गई थी। खादिम रिजवी की फालोइंग पाकिस्तान में इतनी ज्यादा थी कि कहते हैं कि लाहौर में उनके जनाजे में लाखों की भीड़ उमड़ी थी। खादिम रिजवी की मौत के बाद उनके बेटे साद रिजवी ने तहरीक-ए-लब्बैक पर कब्जा जमा लिया।
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