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जल्द आएगी कोरोना की दवा, इस कंपनी ने जगाई उम्मीद, इन 11 वैक्सीन पर टिकी है दुनिया भर की आस

वाशिंगटन. दुनिया में कोरोना का कहर जारी रहा है। अब तक 60 लाख 31 हजार से अधिक लोग संक्रमित हैं। जबकि अब तक 3 लाख 66 हजार 812 लोगों की मौत हो चुकी है। हालांकि अब तक 26 लाख 59 हजार 270 लोग ठीक हो चुके हैं। कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए देश और दुनिया के कई देश लगातार खोज कर रहे हैं। इन सब के बीच वैक्सीन बनाने में अब एक और कंपनी ने दुनिया की उम्मीदें जगा दी हैं। वियाग्रा जैसी दवाओं का आविष्कार करने वाली अमेरिकन फार्मास्यूटिकल कंपनी Pfizer ने दावा किया है कि इस साल अक्टूबर के अंत तक उनकी वैक्सीन बनकर तैयार हो जाएगी। जानिए इसके अलावा और किन-किन दवाइयों पर परीक्षण जारी है और वैक्सीन आने की उम्मीद जगी है...

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Asianet News Hindi
Published : May 30 2020, 01:21 PM IST
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Pfizer के सीईओ अल्बर्ट बुर्ला ने 'द टाइम्स ऑफ इजराइल' के हवाले से बताया, 'अगर सबकुछ ठीक चलता रहा और हमें किस्मत का साथ मिला तो अक्टूबर के अंत तक वैक्सीन तैयार हो जाएगी। एक गुणकारी और सुरक्षित वैक्सीन के लिए हम भरपूर प्रयास कर रहे हैं।'

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कंपनी के सीईओ ने रिपोर्ट में बताया कि Pfizer जर्मनी की फर्म बायोन्टेक के साथ यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका में कई संभावित वैक्सीन को लेकर काम कर रहा है। 

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एस्ट्राजेनेका नाम की एक और कंपनी ने दावा किया है कि इस साल के अंत तक एक या एक से ज्यादा वैक्सीन तैयार हो सकते हैं। बता दें कि एस्ट्राजेनेका फिलहाल ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ वैक्सीन पर काम कर रही है, जिसमें एक वैक्सीन पर काम इस साल के अंत तक खत्म हो सकता है। 

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एस्ट्राजेनेका के प्रमुख पास्कल सोरिएट्स ने कहा, 'हमारी वैक्सीन से कई लोगों की उम्मीदें जगी हैं। अगर सभी चरणों में कामयाबी मिली तो इस साल के अंत तक हमारे पास वैक्सीन होगी।' उन्होंने कहा कि हम समय के विपरीत चल रहे हैं। पूरी दुनिया में अब तक 50 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं और साढ़े तीन लाख से ज्यादा की मौत हो चुकी है।

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रिपोर्ट में एक्सपर्ट्स की चेतावनी को रेखांकित करते हुए कहा गया है कि आने वाले समय में चुनौती और भी कठिन हो सकती है। इस महामारी से लोगों को बचाने के लिए हमें 1,500 करोड़ (15 बिलियन) डोज तैयार करने होंगे। 

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सोरिएट्स ने बताया कि पूरी दुनिया में तकरीबन 100  लैब्स में कोरोना वायरस की वैक्सीन पर काम किया जा रहा है। लेकिन अभी तक सिर्फ 10 ही क्लिनिकल ट्रायल्स तक पहुंच पाए हैं। 
 

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चीन में बंदरों पर हुआ सफल ट्रायल
चीन के बीजिंग में मौजूद साइनोवैक बायोटेक कंपनी का दावा है कि उसने कोरोना की वैक्सीन बना ली है। इस वैक्सीन के जरिए बंदर को कोरोना के संक्रमण से बचाया गया है। कोरोना की वैक्सीन को पिछले दिनों 8 बंदरों को दी थी। तीन हफ्ते बाद बंदरों की दोबारा जांच की गई। इसमें चौंकाने वाले नतीजे सामने आए। बंदरों के फेफड़ों में ट्यूब के जरिए वैक्सीन के रूप में कोरोना वायरस भी डाला गया था। तीन हफ्ते बाद पता चला कि 8 बंदरों में से किसी को कोरोना संक्रमण नहीं हुआ।

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साइनोवैक कंपनी के डायरेक्टर मेंग विनिंग ने बताया, जिस बंदर को सबसे ज्यादा डोज दी गई। उसमें कोरोना वायरस के कोई भी लक्षण नहीं दिखाई दे रहे हैं। वहीं, जिन बंदरों को कम डोज दी गई, उनमें हल्के लक्षण दिखे, हालांकि, बाद में उन्हें भी कंट्रोल कर लिया गया।

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47D11 वैक्सीन- नीदरलैंड्स को मिला सफलता
नीदरलैंड्स में वैज्ञानिकों को बड़ी सफलता मिली है। बताया जा रहा है कि यहां वैज्ञानिकों द्वारा एंटीबॉडी की खोज कर ली गई है, यह कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकती है। खास बात यह है कि एंडीबॉडी कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन पर प्रहार करती है। यह उसे ब्लॉक करती है। इससे कोरोना शरीर में संक्रमण नहीं फैला पाता।

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नीदरलैंड्स के वैज्ञानिकों के मुताबिक, कोरोना वायरस शरीर में स्पाइक प्रोटीन से कोशिकाओं पर प्रभाव डालता है। संक्रमित होने के बाद वायरस स्पाइक प्रोटीन को बढ़ाता है, इससे संक्रमित व्यक्ति की हालत नाजुक होती जाती है। एंटीबॉडी को चूहों पर प्रयोग कर बनाया गया है।

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इटली में तैयार हुई एंटीबॉडी
इससे पहले इटली ने भी एंटीबॉडी विकसित करने का दावा किया है। यहां सरकार ने दावा किया है कि जिस वैक्सीन को बनाया गया है, वह मानव कोशिका में मौजूद कोरोना वायरस को खत्म कर दिया है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, रोम की संक्रामक बीमारी से जुड़े स्पालनजानी हॉस्पिटल में टेस्ट किया गया है और चूहे में एंटी बॉडीज तैयार किया गया। इसका प्रयोग फिर इंसान पर किया गया और इसने अपना असर दिखाया।

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रोम के लजारो स्पालनजानी नेशनल इंस्टिट्यूट फॉर इन्फेक्शन डिजीज के शोधकर्ताओं ने कहा कि जब इसका इस्तेमाल इंसानों पर किया गया तो देखा गया कि इसने कोशिका में मौजूद वायरस को खत्म कर दिया। यह यूरोप का पहला अस्पताल है जिसने कोविड-19 के जीनोम सीक्वंस को आइसोलेट किया था।
 

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इजरायल ने भी किया है दावा
इससे पहले इजरायल के रक्षा मंत्री नफताली बेन्‍नेट ने दावा किया कि उनके देश के डिफेंस बायोलॉजिकल इंस्‍टीट्यूट ने कोरोना वायरस का टीका बना लिया है। उन्‍होंने कहा कि इंस्‍टीट्यूट ने कोरोना वायरस के एंटीबॉडी को तैयार करने में बड़ी सफलता हासिल की है। रक्षा मंत्री बेन्‍नेट ने बताया कि कोरोना वायरस वैक्‍सीन के व‍िकास का चरण अ‍ब पूरा हो गया है और शोधकर्ता इसके पेटेंट और व्‍यापक पैमाने पर उत्‍पादन के लिए तैयारी कर रहे हैं।

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एम RNA वैक्सीन
अमेरिका की मॉडर्ना थेराप्युटिक्स बायोटेक्नोलॉजी कंपनी कोरोना की वैक्सीन बनाने में जुटी हुई है। कंपनी का मकसद है कि ऐसी वैक्सीन बनाई जाए, जो लोगों की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाएगी। इससे कोरोना वायरस के खिलाफ शरीर को लड़ने की क्षमता मिलेगी और व्यक्ति कोरोना को हरा सकेगा। इस वैक्सीन के ट्रायल के लिए अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ ने फंडिंग भी दी है। यह वैक्सीन मैसेंजर आरएनए पर आधारित है। वैज्ञानिकों ने जेनेटिक कोड तैयार किया है, इसका छोटा सा हिस्सा इंसान के शरीर में इंजेक्ट किया जाएगा। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि वे संक्रमण के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में कामयाब होंगे।

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INO-4800 वैक्सीन
अमेरिका कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित है। कोरोना के खिलाफ जंग में एक और अमेरिकी बायोटेक्नोलॉजी कंपनी जुटी है। कंपनी की रणनीति है कि वह ऐसा वैक्सीन बनाए, जिससे मरीज की कोशिकाओं में प्लाज्मिड के जरिए डीएनए इंजेक्ट किया जाए। इससे मरीजों के शरीर में एंटीबॉडी बनना शुरू हो जाएगा, जो कोरोना से लड़ने में सक्षम होंगी।

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AD5-nCoV वैक्सीन 
चीन की बायोटेक कंपनी कैंसिनों ने कोरोना की वैक्सीन का 16 मार्च को ट्रायल शुरू किया है। इस वैक्सीन को बनाने के लिए कैंसिनो कंपनी के साथ चीन की एकेडमी ऑफ मिलिट्री साइंस और इंस्टीट्यूट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी मिलकर काम कर रहे हैं। इस वैक्सीन में एडेनोवायरस के वर्जन का इस्तेमाल किया जा रहा है। एडेनोवायरस ही हमारी आंख, फेफड़ों, आंतों और नर्वस सिस्टम में संक्रमण का कारण बनते हैं। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इस वैक्सीन से प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाएगी और कोरोना को हराने की शक्ति मिलेगी।
 

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LV SMENP DC वैक्सीन
इसी तरह से चीन के शेंजेन में जीनोइम्यून मेडिकल इंस्टीट्यूट में ह्यूमन वैक्सीन को बनाया जा रहा है। यह एचआईवी जैसी बीमारी के लिए जिम्मेदार लेंटीवायरस से तैयार की गई उन सहायक कोशिकाओं का इस्तेमाल किया जाता है। इससे प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी।

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ChAdOx1 वैक्सीन
ब्रिटेन की ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी के जेनर इंस्टीट्यूट में एक वैक्सीन पर काम चल रहा है। इसे ChAdOx1 नाम दिया गया है। 23 अप्रैल को इसका ट्रायल शुरू हुआ है। इस वैक्सीन को बनाने वाले वैज्ञानिक चीनी कंपनी कैंसिनो बायोलॉजिक्स वाले फॉर्मूले पर काम कर रहे हैं। वैज्ञानिकों का दावा है कि इस वैक्सीन से प्रोटीन प्रतिरोधक क्षमता सक्रिय होगी।

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अमेरिका ने रेमडेसिवीर को माना मददगार
अमेरिका में इबोला वायरस के मरीजों के लिए बनाई गई रेमडेसिवीर दवा कोरोना के संक्रमण को रोकने में मददगार साबित हुई है। इसके साथ ही हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। अमेरिका में जिन लोगों को रेमेडेसिविर दवा दी गई उन्हें औसतन 11 दिन में अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। इससे पहले राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान के एंथनी फॉसी ने बताया था कि यह दवा गंभीर रूप से बीमार कोरोना वायरस के मरीजों के इलाज में कारगर होगी।
 

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भारत 3 देशों के साथ वैक्सीन बनाने में कर रहा कार्य
पुणे स्थित एसआईआई इस वक्त यूके की ऑक्सफोर्ड, अमेरिका के कोडेजेनिक्स और ऑस्ट्रेलिया की बायोटेक फर्म थेमिस द्वारा विकसित की गई वैक्सीन कैंडिडेट्स पर काम कर रही है। पूनावाला ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन से सबसे ज्यादा उम्मीदें दिखाई है क्योंकि यह ट्रायल में सबसे आगे बताई जा रही है।
 

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