सार
60 साल के किसान गुरजंत सिंह की बहादुरगढ़ बॉर्डर पर मौत हो गई। वह पिछले दो महीने से इस आंदोलन का हिस्सा थे। कुछ दिन पहले वो खनौरी बॉर्डर से होते हुए दिल्ली पहुंचे थे।
चंडीगढ़. कृषि कानून के विरोध में आंदोलन लगातार जारी है, आज आठवा दिन है। मोदी सरकारी की तमाम कोशिशों के बावजूद के बाद भी पंजाब-हरियाणा के किसान पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। बुधवार देर रात एक किसान की आंदोलन के दौरान मौत हो गई। अब तक 7 दिन में 4 किसानों की जान जा चुकी है। लेकिन फिर भी उनका हौसला बरकरार है। वह एक ही बात कहते हैं कि हम अपनी धरती मां का हक लेकर रहेंगे। चाहे हमारी मौत ही क्यों ना हो जाए।
हर किसान के दिल में है उनकी आवाज
दरअसल, 60 साल के किसान गुरजंत सिंह की बहादुरगढ़ बॉर्डर पर मौत हो गई। वह पिछले दो महीने से इस आंदोलन का हिस्सा थे। कुछ दिन पहले वो खनौरी बॉर्डर से होते हुए दिल्ली पहुंचे थे। भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहां के राज्य उपाध्यक्ष जोगिंदर सिंह ने बताया कि उनकी जान हम बेकार नहीं जाने देंगे। उनकी आवाज हमारे दिलों में जिंदा है।
(इस आंदोलन में बच्चे से लेकर महिलाएं तक शामिल हो रहीं हैं।)
अस्पताल ले जाते समय रास्ते में तोड़ा दम
किसान यूनियन के नेताओं ने बताया कि गुजजंत सिंह की 26 नवंबर को अचानक तबीयत बिगड़ गई थी। इसके बाद उन्हें गंभीर हालत में बहादुरगढ़ लाया गया। हालत में बिगड़ने के चलते डॉक्टरों ने उको हिसार रेफर कर दिया, बुधवार ले जाते समय बीच रास्ते में उन्होंने दम तोड़ दिया।
(दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर किसानों के आंदोलन का आज आठवां दिन है।)
कड़ाके की ठंड में घरों से दूर हैं हजारों किसान
बता दें कि सैकड़ों किलोमीटर दूर हजारों किसान कड़ाके की ठंड में अपने घरों को छोड़कर देश की राजधानी दिल्ली में आंदोलन कर रहे हैं। उनको ना तो सर्दियों परवाह है और ना ही अपनी परिवार की। वह कहते हैं कि हम अपने हक के लिए लंबे संघर्ष के लिए तैयार हैं।जब तक उनकी मांगें मान नहीं ली जातीं तब तक वे हटेंगे। वो दवाईयां से लेकर राशन तक लेकर आए हुए हैं।