सार
चंडीगढ़ के शिक्षा सलाहकार हरमन चीमा ने बताया कि हरियाणा और पंजाब से बड़ी संख्या में छात्र यूक्रेन में एमबीबीएस करने इसलिए जाते हैं, क्योंकि वहां उन्हें कठिन परीक्षा से नहीं गुजरना पड़ता। उन्होंने बताया कि यूक्रेन में पढ़ने की एक नहीं, कई वजह हैं।
चंडीगढ़। रूस ने यूक्रेन पर हमले कर दिया है। ऐसे में बड़ी संख्या में भारत के छात्र यूक्रेन में फंस गए हैं। इनमें से ज्यादातर वहां मेडिकल की पढ़ाई करने गए थे। इन मेडिकल छात्रों में कई हरियाणा और पंजाब के हैं। एक अनुमान के मुताबिक, यूक्रेन में भारत के 18,095 से अधिक छात्र हैं। भारत सरकार ऑपरेशन गंगा के तहत इन छात्रों को वापस लेकर आ रही है। आज ही 198 छात्रों को लेकर चौथी फ्लाइट भारत पहुंची है।
यमुनानगर निवासी विशाल शर्मा ने बताया कि उनकी भतीजी एमबीबीएस करना चाह रही थी। वह पिछले साल यूक्रेन गई थी। हमने टिकट बुक करा ली थी, लेकिन जैसे ही एयरपोर्ट पर पहुंची तो पता चला कि फ्लाइट कैंसिल हो गई। यमुनानगर से 10 लड़के-लड़कियां यूक्रेन में फंसे हुए हैं। यह सभी वहां मेडिकल शिक्षा के लिए गए हैं। अब सवाल यह है कि इतनी संख्या में यहां से छात्र यूक्रेन जा ही क्यों रहे हैं?
भारत में मेडिकल की पढ़ाई में 70 लाख तक खर्च होते हैं
इस सवाल के जवाब में चंडीगढ़ के शिक्षा सलाहकार हरमन चीमा ने बताया कि हरियाणा और पंजाब से बड़ी संख्या में छात्र यूक्रेन में एमबीबीएस करने इसलिए जाते हैं, क्योंकि वहां उन्हें कठिन परीक्षा से नहीं गुजरना पड़ता। उन्होंने बताया कि यूक्रेन में पढ़ने की एक नहीं, कई वजह हैं। यूक्रेन में एमबीबीएस की डिग्री को भारत, विश्व स्वास्थ्य परिषद, यूरोप, ब्रिटेन आदि में मान्यता प्राप्त है। साथ ही यह कम खर्चीला भी है। भारत में एक छात्र को यदि निजी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की डिग्री लेनी हो तो उसे करीब 50 से 70 लाख रुपए से ज्यादा खर्च करना पड़ सकता है।
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यूक्रेन में 20-25 लाख रुपए आता है खर्च
इसके विपरीत यूक्रेन में एमबीबीएस कोर्स की सालाना फीस 4-5 लाख रुपए है। यानी मेडिकल की पूरी पढ़ाई में करीब 20-25 लाख रुपए खर्च हो जाता है। भारत के मेडिकल कॉलेजों की फीस की तुलना में करीब तीन गुना कम है। जिन छात्रों को यहां प्रवेश नहीं मिल सकता है, वे अपने एमबीबीएस पाठ्यक्रम लेने के लिए यूक्रेन जाना पसंद करते हैं। यहां एनईईटी पास करने की जरूरत नहीं है। यूक्रेन में पढ़ रहे अश्वनी भंडारी ने बताया कि यूक्रेन की डिग्री भी विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त है और यूक्रेन में मेडिकल कॉलेजों में अच्छा बुनियादी ढांचा है। इसलिए भी छात्र वहां जाना पसंद करते हैं।
भारत में एग्जाम देकर प्रैक्टिस कर सकते हैं
भारत में कम सीट हैं। कंपटीशन ज्यादा है। कंपटीशन पास करना ही अपने आप में मुश्किल काम है। इसलिए सबसे आसान रास्ता यह है कि यूक्रेन से पढ़ाई कर ली जाए। यूक्रेन से एमबीबीएस की डिग्री पूरी करने वाली कुरुक्षेत्र की मोनिका विज ने बताया कि यहां उन्हें एक एग्जाम देना है, इसके बाद वह भारत में प्रैक्टिस कर सकती हैं। हालांकि ऐसा नहीं है कि सिर्फ यूक्रेन ही भारतीय छात्र मेडिकल की शिक्षा के लिए जा रहे हैं। कई छात्र चीन और आस्ट्रेलिया भी जा रहे हैं।
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सुरक्षा को लेकर निश्चिंत रहते हैं अभिभावक
लेकिन इसके बाद भी यूक्रेन जाने वाले छात्रों की संख्या सबसे ज्यादा है। यह इसलिए भी है क्योंकि वहां पहले ही काफी छात्र पढ़ रहे हैं। अब वह अपने आसपास और जान पहचान वालों को वहां पढ़ने के लिए बुला रहे हैं। यदि पहले से कोई विदेश में हैं तो भारतीय अभिभावक अपने बच्चे की सुरक्षा की चिंता से बहुत हद तक निश्चिंत भी हो जाते हैं। यह भी एक कारण है कि बच्चे ज्यादा यूक्रेन जा रहे हैं।
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