सार
पीरियड्स से पहले या पीरियड्स के दौरान महिलाओं को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस दौरान उनका मूड स्विंग होता है जो कभी-कभी खतरनाक रूप ले लेता है। यहां तक की महिलाओं को आत्महत्या का भी ख्याल आने लगता है। इसके पीछे वजह पीएमडीडी होता है। चलिए जानते हैं पीएमडीडी (PMDD)क्या होता है।
हेल्थ डेस्क. पूनम बताती है कि जब वो 8वीं क्लास में थी तो ना जाने क्यों अपनी एक सबसे अच्छी दोस्त के साथ झगड़ पड़ी थी। दो दिन तक उसका मूड बहुत खराब रहा था। वो चिड़चिड़ी हो गई थी। इसके बाद उसे पीरियड्स हो गया। ये सिलसिला हर महीने उसके साथ होता था जब वो उसका मूड उखड़ जाता था, खुद को अकेली महसूस करती थी। यहां तक की शादी के बाद भी यह समस्या उसके साथ होती रही। पीरियड्स होने से दो दिन पहले वो इतनी उखड़ी रहती थी कि बिना बात के पति के साथ झगड़ पड़ती थी। कभी-कभी आत्महत्या का भी ख्याल आता था।
दरअसल, पूनम को प्रीमेन्स्ट्रुअल डिस्फॉरिक सिन्ड्रॉम (पीएमडीडी) था। जिसकी वजह से उसके व्यवहार में अचानक बदलाव आ जाते थे। बहुत ही कम महिलाओं को पीएमडीडी के बारे में पता होता है। वो पीरियड्स में होने वाले दर्द और शारीरिक परेशानियों के बारे में जानती हैं, लेकिन मानसिक बदलाव से अनजान होती हैं। पीएमडीडी (PMDD) क्या होता है और इसके क्या-क्या लक्षण होते हैं आइए बताते हैं।
क्या होता है PMDD
PMDD में हार्मोनल बदलाव होते हैं जिनका असर दिमाग पर पड़ता है। वैसे तो पीरियड्स के समय शरीर में थोड़ा सा बदलाव होता है। लेकिन पीएमडीडी में दिमाग के अंदर हार्मोन्स का घटना और बढ़ना सामान्य से ज्यादा होता है। जिसकी वजह से इमोशन पर असर पड़ता है। पीएमडीडी के लक्षण पीरियड्स के दो या तीन दिन पहले दिखाई देने शुरू होते हैं। इसका असर महिलाओं पर कई तरह से पड़ता है। जैसे वो डिप्रेशन में चली जाती हैं, चिड़चिड़ापन आ जाता है, तनाव में होती हैं, बात-बात पर गुस्सा आता है और नींद की समस्या भी देखने को मिलती है। इसके अलावा घबराहट और दौरा पड़ना भी महिलाओं में दिखता है।
कई केस में तो यह काफी खतरनाक भी होता है। वो गुस्से में खुद को या फिर सामने वाले को भी नुकसान पहुंचा सकती हैं। हालांकि ऐसे मामले बहुत ही रेयर होते हैं। डॉक्टर शिखा की मानें तो पीएमडीडी में सबसे ज्यादा मूड स्विंग होता है। औरतें खुद को अकेला और समाज से इतर खुद को मानने लगती हैं। वो डिप्रेशन में जाने लगती हैं। ऐसे में जीवन साथी का उनको समझना जरूरी होता है।
क्या है इलाज
पीएमडीडी का इलाज जीवनशैली में बदलाव और कभी-कभी दवाइयों से किया जाता है। विटामिन की खुराक बढ़ाने, एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाएं और एंटीडिप्रेसंट दवाओं से पीएमडीडी के लक्षणों को कम किया जा सकता है। इसके अलावा कई महिलाओं को काउंसलिंग भी दी जाती हैं। इसके साथ घरवालों को भी बताया जाता है कि इस दौरान वो पीड़ित महिला को कैसे संभाले। रिलैक्सेशन थेरेपी, मेडिटेशन, रिफ्लेक्सोलॉजी और योग भी पीएमडीडी भी इसमें राहत पहुंचा सकती है।
और पढ़ें:
4 मिसकैरेज के बाद भी नहीं टूटी हिम्मत, 43 किलो वजन कम कर डॉक्टर बन गई फिटनेस कोच
सावधान! डाइट फूड्स और ड्रिंक्स से मोटापा समेत हो सकती है ये 3 तरह की खतरनाक बीमारियां