सार

14 नवंबर को पूरी दुनिया में वर्ल्ड डायबिटीज डे मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य मधुमेह के बारे में सही जानकारी देना और लोगों को इसके बारे में जागरूक करना है, ताकि इस लाइलाज बीमारी को कंट्रोल किया जा सके।

हेल्थ डेस्क : हर साल 14 नवंबर को वर्ल्ड डायबिटीज डे (World diabetes day 2022) मनाया जाता है। सबसे पहले इसे मनाने की शुरुआत इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन और वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने 1991 में की थी। जिसका उद्देश्य डायबिटीज के रोगियों की संख्या को कम करना और इस बीमारी के बारे में लोगों को जागरूक करना है, क्योंकि शरीर में ब्लड शुगर लेवल के कम या ज्यादा होने से कई गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इसमें हार्ट से लेकर किडनी तक की समस्याएं जुड़ी होती है। आजकल बच्चे से लेकर जवान और बुजुर्ग भी डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित होते हैं। लोग इसे लेकर कई भ्रांतियों को भी मानते हैं। तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि मधुमेह को लेकर किस तरह की भ्रांतियां फैलाई जाती है और उसका सच क्या है...

मिथक- बच्चों को डायबिटीज नहीं होती 
सच- कई लोगों का मानना होता है कि छोटे बच्चों को डायबिटीज जैसी बीमारी का खतरा नहीं हो सकता है। लेकिन यह बिल्कुल सही नहीं है। इस उम्र में भी डायबिटीज हो सकती है। छोटे बच्चों को जो डायबिटीज होती है उसे टाइप वन डायबिटीज कहा जाता है। दरअसल, पैंक्रियास में बीटा सेल्स होते हैं जो वायरल इनफेक्शन या ऐसी ही किसी अन्य वजह से खत्म हो जाते हैं। यह बीटा सेल्स शरीर में इंसुलिन का निर्माण करते हैं और इनके नष्ट होने से इंसुलिन की मात्रा कम होने लगती है और बच्चों में भी टाइप वन डायबिटीज का खतरा हो सकता है।

मिथक- हम तो मीठा नहीं खाते, तो डायबिटीज नहीं हो सकती
सच- कई लोग कहते हैं कि हम तो मीठे से बिल्कुल परहेज करते हैं। कभी शक्कर नहीं खाते हैं, तो हमें तो डायबिटीज हो ही नहीं सकती है। जबकि ऐसा नहीं है जो लोग मीठा बिल्कुल भी नहीं खाते उन्हें भी डायबिटीज होने का खतरा हो सकता है, क्योंकि डायबिटीज होने का कारण इंसुलिन की कमी या इन्सुलिन रेजिस्टेंस है मीठा खाना नहीं।

मिथक- शुगर कंट्रोल हो जाए तो दवा खाने की जरूरत नहीं 
सच- अधिकतर लोगों को देखा जाता है कि अगर उनका ब्लड शुगर लेवल नॉर्मल हो जाता है, तो वह डायबिटीज की दवाई या इंसुलिन लेना बंद कर देते हैं। लेकिन डॉक्टरों की मानें तो अगर किसी एक इंसान को मधुमेह रोग है, तो उसे इसकी दवाई रेगुलर लेनी चाहिए या अगर वह इंसुलिन लेते हैं तो उन्हें इंसुलिन लगाना बंद नहीं करना चाहिए, क्योंकि शुगर लेवल कम ज्यादा होता रहता है। लेकिन यह जड़ से नहीं जाता है।

मिथक- परिवार में किसी को डायबिटीज नहीं तो मधुमेह का खतरा नहीं 
सच- डायबिटीज को एक अनुवांशिक बीमारी माना जाता है। लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है कि जिनके परिवार में डायबिटीज की हिस्ट्री ना हो उन लोगों को कभी डायबिटीज नहीं हो सकती है। कई बार आपकी लाइफ स्टाइल, ईटिंग हैबिट्स और मोटापे जैसी समस्या के चलते भी इंसान डायबिटीज का शिकार बन सकता है। ऐसे में इसे आप सिर्फ अनुवांशिक बीमारी ना समझे।

मिथक- डायबिटीज के लोगों को आलू और चावल बिल्कुल नहीं खाने चाहिए
सच- यह बात सही है कि आलू और चावल में शुगर की मात्रा पाई जाती है। लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है कि आपको चावल और आलू से पूरी तरह से परहेज करना चाहिए। आप चाहे तो मधुमेह के रोगी होने के बाद भी सीमित मात्रा में इसका सेवन कर सकते हैं। बस फ्राइड आलू की जगह उबले आलू खाए और चावल का स्टार्च निकाल कर खाएं, क्योंकि यह शरीर में कार्बोहाइड्रेट की कमी को पूरा करता है और शरीर को एनर्जी भी देता है।

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