सार
भारत में बनाई गई COVID के लिए दुनिया की पहला इंट्रा-नेजल वैक्सीन को आपातकालीन स्थिति में प्रतिबंधित उपयोग के लिए केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) से मंजूरी मिल गई है।
हेल्थ डेस्क : कोरोना महामारी से जंग जीतने के लिए भारत ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। दरअसल, भारत ने दुनिया की पहली इंट्रा-नेजल वैक्सीन डेवलप की है। जिसे 18 और उससे अधिक आयु के लोगों को दिया जा सकता है। इससे केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन से भी मंजूरी मिल गई है। जिसके तहत आपातकालीन स्थितियों में इसका उपयोग किया जा सकता है। आइए हम आपको बताते हैं भारत के ऐतिहासिक कदम और इस वैक्सीन के बारे में...
2 डोज में दी जाएगी खुराक
बताया जा रहा है कि मिशन कोविड सुरक्षा कार्यक्रम के तहत इस वैक्सीन को जैव प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार और बाइरैक द्वारा बनाया गया है। इस टीके को प्राथमिक 2 खुराक अनुसूची, सजातीय बूस्टर खुराक के लिए 18 वर्ष और उससे अधिक आयु के आपातकालीन स्थितियों में उपयोग किए जाने की मंजूरी मिली है।
आत्मनिर्भर भारत की ओर बड़ा कदम
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गतिशील नेतृत्व में मिशन कोविड सुरक्षा के माध्यम से भारत के प्रयासों ने न केवल आत्मनिर्भर भारत को मजबूत किया है बल्कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी की ताकत को दिखाते हुए विश्वव्यापी वैक्सीन बनाकर भारत की स्थिति को भी मजबूत किया है। यह देश के लिए बड़े गर्व की बात है।" इस वैक्सीन के निर्माण के लिए भारत बायोटेक ने गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र और तेलंगाना सहित पूरे भारत में कई साइट स्थापित की थी।
इस दौरान जब वह जैव प्रौद्योगिकी विभाग के स्वायत्त संस्थानों की एक बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे, तो उन्होंने सुविधाजनक कामकाज, लागत-प्रभावशीलता और एकीकृत कार्यप्रणाली के हित में जैव प्रौद्योगिकी संस्थानों के 14 समाजों को एक एकल समाज में विलय करने के ऐतिहासिक निर्णय के बारे में भी बताया।
ऐसे दी जा सकेगी वैक्सीन
इस वैक्सीन को विशेष रूप से नाक के गुहाओं में बूंदों के माध्यम डाला जाएगा। इसे कम और मध्यम आय वाले देशों में लागत प्रभावी बनाने के लिए डिजाइन और विकसित किया गया है। इसका भंडारण बेहद आसान है और वितरण के लिए यह टीका 2-8 डिग्री सेल्सियस पर स्टोर किया जा सकता है।\
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