भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में जेआरडी टाटा को एक ऐसे व्यक्ति के रुप में याद किया जाता है, जिन्होंने अंग्रेजों के कई पूर्वाग्रहों को ध्वस्त करने का काम किया। उन्होंने अपने ही अंदाज में अंग्रेजों को मात दी।
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का शुरूआत 1857 से मानी जाती है, जब पहली बार अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह हुआ था। लेकिन बहुत कम लोग ही यह जानते होंगे कि 1857 से 2 साल पहले भी एक विद्रोह हुआ था, जिसे संथाल विद्रोह कहा जाता है।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में मातंगिनी हाजरा (Mathangini Hazra) का नाम सम्मान के साथ लिया जाता है। 72 वर्ष की आयु में मातृभूमि के लिए अपने प्राणों की बलि देने वाली हाजरा देश को आजाद देखना चाहती थीं।
आजादी के अमृत महोत्सव में आज बात उस वीरांगना की जिन्हें अंग्रेजों ने गोलियों से भून दिया लेकिन हाथ से तिरंगा नहीं छोड़ा। आखिरी सांस तक वे वंदे मातरम का उद्घोष करती रहीं। 72 साल की उम्र में देश के लिए शहीद हो गईं
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान तीन नाम देश के हर नागरिक की जुबान पर रहता है। वे तीन नाम हैं, भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू। ये तीनों प्रखर राष्ट्रवादी युवा थे जिन्होंने अंग्रेजों के सामने कड़ी चुनौती पेश की थी।
राजगुरु भगत सिंह के हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन में शामिल हुए थे। राजगुरु उन क्रांतिकारियों में से थे जो देश के लिए हंसते हंसते अपने प्राण न्यौछावर कर दें। राजगुरु ने खुद को अंग्रेजों की प्रताड़ना के सहने के लिए इतना मजबूत बनाया हुआ था वे गर्म लोहे की छड़ों को पकड़ लेते थे।
भारत आजादी के अमृत महोत्सव मना रहा है। 75 वीं वर्षगांठ के इस अवसर पर आज बात भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में लड़ाई लड़ने वाले वंचिनाथ अय्यर की। जो अंग्रजों के लिए किसी बुरे सपने से काम नहीं थे। जिन्होंने अंग्रेजों की नाक में दम कर दिया
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान कई ऐसे क्रांतिकारी रहे हैं, जिन्होंने अकेले दम पर ही अंग्रेजों की नाक में दम कर दिया था। इन्हीं क्रांतिकारियों में से एक थे वंचिनाथ अय्यर, जिनसे अंग्रेज सरकार भी खौफ खाती थी।
केरल के एक जमींदार परिवार में जन्मी कैप्टन लक्ष्मी ने भारतीय राष्ट्रीय सेना के झांसी रानी रेजीमेंट का नेतृत्व किया था। नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने उन्हें यह जिम्मेदारी दी थी। सिंगापुर और मलेशिया में रहने वाले भारतीयों की बेटियां झांसी रानी रेजिमेंट में शामिल हुईं थी।
इनका जन्म 24 अक्तूबर 1914 को एक परंपरावादी तमिल परिवार में हुआ था। मेडिकल के क्षेत्र में इन्होंने स्नातक किया। 1938 में मद्रास मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस किया।लक्ष्मी एक स्वतंत्रता सेनानी अम्मू स्वामीनाथन और मद्रास के एक शीर्ष वकील एस स्वामीनाथन की दूसरी बेटी थीं।