सार

झारखंड सरकार ने 1 सितंबर के दिन हुई केबिनेट मीटिंग में एक ऐसे फैसले की स्वीकृति दी है, जो चर्चा का विषय बना हुआ है। दरअसल इसमें सरकार 2 करोड़ रुपए से अधिक खर्च होंगे। इस पर विपक्ष ने सवाल उठाए है तो वहीं कांग्रेस मंत्री ने लोकतंत्र को बचाने का फैसला बताया।

रांची (झारखंड). झारखंड में सियासी बवाल के बीच झारखंड कैबिनेट ने एक ऐसे फैसले पर मुहर लगाई जो चर्चा का विषय बना हुआ है। झारखंड सरकार के मंत्री आलमगिर आलम ने जानकारी देते हुए बताया कि सरकार ने एक महीने के लिए दो करोड़ से अधिक राशि खर्च कर चार्टर्ड प्लेन भाड़े पर लेने का फैसला किया है। इस प्रस्ताव को कैबिनेट से सहमति भी मिल गई है। हेमंत कैबिनेट के इस फैसले को लेकर विपक्ष सवाल खड़े कर रहा है। विपक्ष का कहना है कि झारखंड जैसे गरीब राज्य की जनता के ऊपर बोझ बता रहा है और पूछ रहा है कि सरकार बताती थी कि खजाना खाली है तो फिर यह फिजूलखर्ची क्यों। 

परिस्थितिवश लेना पड़ा फैसला - मंत्री 
राज्य के संसदीय कार्यमंत्री और कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम ने कहा कि परिस्थितिवश और आवश्यकता होने पर ऐसा फैसला लिया जाता है। आलमगीर आलम ने कहा कि पूर्व में खुद उन्होंने ही विधायक रहते हुए यह सलाह दी थी कि सरकार का अपना चॉपर होना चाहिए, लेकिन तब कहा गया था कि सरकार वस्तुस्थिति के अनुसार फैसला करती है। उन्होंने कहा कि जिस तरह की खबरें आ रही हैं उसके बाद लोकतंत्र को बचाने के लिए यह फैसला लिया गया है। 

विपक्ष के आरोप... जनता के पैसे उड़ा रही सरकार
सत्ता पक्ष के इस फैसले के बाद विपक्ष सरकार पर सवाल खड़े कर रही है। राज्यसभा सांसद सह भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने पलामू में कहा कि राज्य में तुगलकों की तरह फैसला लिया जा रहा है। जनता की गाढ़ी कमाई से विधायकों के लिए एयरक्राफ्ट और माननीयों के लिए बीएमडब्ल्यू खरीदा जा रहा है। जबकि आम लोगों के लिए बैलगाड़ी भी नहीं, ये हेमंत सरकार के नियम और नीति हैं। हेमंत सरकार जिस प्रकार का फैसला ले रही है, उसके पाप की भागीदारी कांग्रेस की भी है। झारखंड में कानून का शासन खत्म हो गया है। पूरे देश में सबसे अधिक दुष्कर्म और तेजाब की घटनाएं झारखंड में हो रही हैं, हेमंत सरकार में बेटियां और महिलाएं असुरक्षित हैं।

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