सार
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन घर-घर में तथा सार्वजनिक स्थानों पर भगवान श्रीगणेश की प्रतिमा स्थापित की जाती है। इसके बाद भाद्रपद् शुक्ल चतुर्दशी यानी अनंत चतुर्दशी (इस बार 19 सितंबर, रविवार) (Anant Chaturdashi 2021) पर इन गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाता है।
उज्जैन. वैसे तो गणेश उत्सव का समापन अनंत चतुर्दशी (19 सितंबर, रविवार) पर होता है और इसी दिन गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन भी किया जाता है, लेकिन महाराष्ट्र आदि कुछ स्थानों पर गणेश चतुर्थी के 2-3 बाद ही गणेश प्रतिमा के विसर्जन की परंपरा भी है। प्रतिमा विसर्जन के पूर्व भगवान श्रीगणेश की विधिवत मंत्रों के साथ पूजा की जाती है। साथ ही कुछ खास बातों का ध्यान भी रखा जाता है।
इस विधि से करें हवन
गणेश प्रतिमा विसर्जन के पहले हवन भी करना चाहिए। ये हवन करना बहुत ही आसान है। इसके लिए पहले बाजार से समिधा (हवन साम्रगी) ले लाएं और हवनकुंड तैयार कर लें।
ऊं अग्नये नमः…7 बार बोलकर अग्नि प्रज्जवलित कर लें।
ऊं गुरुभ्यो नमः… मंत्र 21 बार बोलें।
ऊं अग्नये स्वाहा… 7 बार बोलकर हर बार हवनकुंड में आहुति डालें।
ऊं गं स्वाहा… 1 बार बोलकर अग्नि में आहुति दें।
ऊं भैरवाय स्वाहा… 11 बार बालकर आहुति दें।
ऊं गुरुभ्यो नमः स्वाहा… 16 बार बोलकर अग्नि में आहुति दें।
ऊं गं गणपतये स्वाहा… 108 बार बोलकर हर बार हवनकुंड में समिधा अर्पित करें।
अंत में कहें कि हे भगवान श्रीगणेश आपकी कृपा मुझे प्राप्त हो....गलतियों के लिये क्षमा मांगे.....
3 बार पानी छिड़ककर शांति शांति शांति ऊं कहें।
गणेश विसर्जन शुभ मुहूर्त
सुबह 07:39 से दोपहर 12:14 तक
दोपहर 01:46 से 03:18 बजे तक
शाम 06:21 से रात 10:46 बजे तक
इस विधि से करें गणेश प्रतिमा का विसर्जन (Anant Chaturdashi 2021)
- विसर्जन से पहले स्थापित गणेश प्रतिमा का संकल्प मंत्र के बाद षोड़शोपचार पूजन-आरती करें। गणेशजी की मूर्ति पर सिंदूर चढ़ाएं।
- मंत्र बोलते हुए 21 दूर्वा दल चढ़ाएं। 21 लड्डुओं का भोग लगाएं। इनमें से 5 लड्डू मूर्ति के पास रख दें और 5 ब्राह्मण को दान कर दें। शेष लड्डू प्रसाद के रूप में बांट दें।
- पूजन के समय यह मंत्र बोलें- ऊँ गं गणपतये नम:
- गणेशजी को दूर्वा अर्पित करते समय नीचे लिखे मंत्रों का जाप करें-
ऊँ गणाधिपतयै नम:
ऊँ उमापुत्राय नम:
ऊँ विघ्ननाशनाय नम:
ऊँ विनायकाय नम:
ऊँ ईशपुत्राय नम:
ऊँ सर्वसिद्धप्रदाय नम:
ऊँ एकदन्ताय नम:
ऊँ इभवक्त्राय नम:
ऊँ मूषकवाहनाय नम:
ऊँ कुमारगुरवे नम:
- इसके बाद भगवान श्रीगणेश की आरती उतारें, प्रतिमा का विसर्जन कर दें और यह मंत्र बोलें-यान्तु देवगणा: सर्वे पूजामादाय मामकीम्।
इष्टकामसमृद्धयर्थं पुनर्अपि पुनरागमनाय च॥
अर्थ- हे भगवान गणेश, आपकी हम एक मूर्ति के (पार्थिव) स्वरूप में पूजा कर रहे हैं, मुझ पर कृपा करके, मेरे प्रसाद को स्वीकार करें और मुझे आशीर्वाद दें कि मेरी इच्छाएं पूरी हों और आप अगले बरस जल्दी फिर से आना।
इन बातों का भी रखें ध्यान
- घर से श्रीगणेश की प्रतिमा लेकर जाते समय इस बात का ध्यान रखें कि प्रतिमा की मुख घर के अंदर की ओर हो, न कि पीठ।
- विसर्जन के पूर्व श्रीगणेश से जाने-अनजाने में हुई अपनी गलतियों के लिए क्षमा याचना करें और प्रार्थना करें कि आपके घर में सदैव सुख-समृद्धि का वास हो।
- विसर्जन के पूर्व नदी या तालाब के किनारे एक बार पुन: श्रीगणेश की आरती करें। इसके बाद ससम्मान प्रतिमा का विसर्जन करें।
नोट- जो लोग अनंत चतुर्दशी (Anant Chaturdashi 2021) के पूर्व गणेश प्रतिमा का विसर्जन करना चाहते हैं, वे चौघड़ियां देखकर ये कार्य कर सकते हैं।
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