सार
भगवान श्रीगणेश की पूजा के बिना कोई भी शुभ कार्य संपन्न नहीं होता, ऐसा हमारे धर्म ग्रंथों में लिखा है। इन दिनों पूरे देश में गणेश उत्सव (Ganesh Utsav 2021) की धूम है। ये उत्सव 19 सितंबर को गणेश विसर्जन के साथ ही समाप्त होगा।
उज्जैन. गणेश उत्सव के दौरान शिव-पार्वती और गणेश के साथ ही उनके परिवार की भी पूजा करने की परंपरा है। गणेश जी के परिवार में उनकी दो पत्नियां रिद्धि-सिद्धि और दो पुत्र क्षेम यानी शुभ और लाभ हैं। कुछ मान्यताओं के अनुसार गणेश जी की एक पुत्री संतोषी भी हैं। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार गणेश जी परिवार के देवता माने गए हैं। इनकी पूजा करने से घर-परिवार में सुख-समृद्धि रहती है और शुभ-लाभ का आगमन होता है।
ऐसा है शिव जी के परिवार
शिव जी के परिवार में माता पार्वती, कार्तिकेय स्वामी, गणेश जी हैं। शिव जी के वाहन नंदी, देवी मां का वाहन शेर, कार्तिकेय स्वामी का वाहन मयूर यानी मोर, गणेश जी का वाहन मूषक यानी चूहा है। कार्तिकेय स्वामी बाल ब्रह्मचारी हैं (कुछ ग्रंथों में इनकी पत्नी बताई गई है, जिनका नाम देवसेना है)। गणेश जी की दो पत्नियां और दो पुत्र हैं। इन सभी की पूजा एक साथ करने का विशेष महत्व है।
ये है गणेश जी का जीवन प्रबंधन
- पं. शर्मा के अनुसार घर के मुखिया का स्वभाव गंभीर होना चाहिए। गणेश जी का सिर हाथी का और धड़ मनुष्य की तरह है यानी व्यक्ति की बुद्धि हाथी की तरह गंभीर होनी चाहिए।
- घर-परिवार से जुड़ी सभी बातों पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। हाथी खूब सोच-विचार कर ही काम करता है। हाथी को जल्दी गुस्सा नहीं आता। हाथी को धैर्यवान माना जाता है।
- गणेश जी के स्वरूप का संदेश यह है कि व्यक्ति को अपने घर-परिवार से जुड़ी सभी बातों को गंभीरता से समझना चाहिए और धैर्य, शांति बनाए रखना चाहिए। परिवार में गुस्सा भी नहीं करना चाहिए।
- गणेश जी को बुद्धि का देवता भी कहा जाता है। जब बुद्धि का उपयोग करते हुए धैर्य और शांति के साथ गंभीर होकर काम किया जाता है, तब रिद्धि-सिद्धि यानी सुख-समृद्धि और शुभ-लाभ की प्राप्त होती है।
- इन सब बातों का ध्यान रखेंगे तो परिवार कभी टूट नहीं पाएगा और उसमें एकजुटता बनी रहेगी। जब ये सब जीवन में आ जाते हैं, तब हमें संतोष मिलता है। यही गणेश जी स्वरूप और उनके परिवार का संदेश है।
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