सार
10 मई 2022, दिन मंगलवार को वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, इसी तिथि पर देवी सीता का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन देवी जानकी जयंती का पर्व मनाया जाता है।
उज्जैन. वैदिक ज्योतिष में ग्रह-नक्षत्रों व अन्य खगोलीय घटनाओं के बारे में बताया गया है। कब किसी दिन कौन-सा ग्रह राशि बदलेगा और कब-कब ग्रहण आदि होंगे। इसकी जानकारी भी ज्योतिष के माध्यम से प्राप्त की जा सकती है। इन सभी जानकारी को एक सूत्र में पिरोने का काम पंचांग करता है। ज्योतिष शास्त्र के आधार पर ही पंचांग का निर्माण किया जाता है। हर साल का नया पंचांग बनाया जाता है, जिसमें हर दिन के शुभ मुहूर्त, राहुकाल आदि की संपूर्ण जानकारी दी जाती है। पंचांग वैदिक काल से ही सनातन धर्म में काल गणना का एक प्रमुख अंग रहा है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पंचांग मुख्य रूप से 5 अंगों से मिलकर बनता है ये हैं करण, तिथि, नक्षत्र, वार और योग। इन सभी के योग से एक सटीक पंचांग तैयार किया जाता है जो बहुत उपयोगी होता है। आगे जानिए पंचांग से जुड़ी खास बातें…
ये हैं पंचांग के 5 प्रमुख अंग…
नक्षत्र: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, नक्षत्र 27 होते हैं। ये 27 नक्षत्र ही दक्ष प्रजापति की पुत्रियां मानी गई हैं, जिनका विवाह चंद्रमा के साथ हुआ था। इन सभी नक्षत्रों में पुष्य को नक्षत्रों का राजा माना गया है। इसलिए इस नक्षत्र का विशेष महत्व है।
करण: तिथि के आगे भाग को करण कहते हैं। ये 11 प्रकार के होते हैं। इनके नाम इस प्रकार हैं- बव, बालव, कौलव, तैतिल, गर, वणिज, विष्टि, शकुनि, चतुष्पाद, नाग और किस्तुघ्न।
वार: एक सप्ताह में सात वार होते हैं। इनके नाम इस प्रकार हैं- सोम, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि और रवि।
योग: नक्षत्र की ही तरह योग भी 27 होते हैं। इनके नाम इस प्रकार हैं- विष्कुम्भ, प्रीति, आयुष्मान, सौभाग्य, शोभन, अतिगण्ड, सुकर्मा, धृति, शूल, गण्ड, वृद्धि, ध्रुव, व्याघात, हर्षण, वज्र, सिद्धि, व्यातीपात, वरीयान, परिघ, शिव, सिद्ध, साध्य, शुभ, शुक्ल, ब्रह्म, इन्द्र और वैधृति। इनमें से कई शुभ और कई अशुभ योग होते हैं।
तिथियां: चन्द्र रेखांक को सूर्य रेखांक से 12 अंश ऊपर जाने के लिए जो समय लगता है, वह तिथि कहलाती है। एक तिथि 19 से 24 घंटे तक की हो सकती है। तिथि कुल 16 होती है।
10 मई का पंचांग (Aaj Ka Panchang 10 May 2022)
10 मई 2022, दिन मंगलवार को वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, इसी तिथि पर देवी सीता का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन देवी जानकी जयंती का पर्व मनाया जाता है। मंगलवार को सूर्योदय मघा नक्षत्र में होगा, जो दोपहर 3 बजे तक रहेगा, इसके बाद पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र रात अंत तक रहेगा। मंगलवार को पहले मघा नक्षत्र होने से कालदंड और उसके बाद पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र होने से धूम्र नाम के 2 अशुभ योग इस दिन बन रहे हैं। इस दिन राहुकाल शाम 07:30 से 09:08 तक रहेगा। इस दौरान कोई भी शुभ काम न करें।
ग्रहों की स्थिति कुछ इस प्रकार से होगी...
मंगलवार को बुध ग्रह वृषभ राशि में वक्री होगा, इसका असर सभी राशियों पर दिखाई देगा। इस दिन चंद्रमा सिंह राशि में, सूर्य और राहु मेष राशि में, शुक्र और गुरु मीन राशि में, बुध ग्रह वृषभ राशि में, केतु तुला राशि में और मंगल कुंभ राशि में और शनि कुंभ राशि में रहेगा। मंगलवार को उत्तर दिशा की यात्रा नहीं करनी चाहिए। यदि निकलना पड़े तो गुड़ खाकर यात्रा पर जाना चाहिए।
10 मई के पंचांग से जुड़ी अन्य खास बातें
विक्रमी संवत- 2079
मास पूर्णिमांत- वैशाख
पक्ष- शुक्ल
दिन- मंगलवार
ऋतु- ग्रीष्म
तिथि- नवमी शाम 05:00 तक, इसके बाद दसमी
नक्षत्र- मघा और पूर्वा फाल्गुनी
करण- बालव और कौलव
सूर्योदय - 5:52 AM
सूर्यास्त - 6:54 PM
चन्द्रोदय- 1:23 PM
चन्द्रास्त - 2:32 AM
अभिजीत मुहूर्त - 11:57 AM – 12:49 PM
10 मई का अशुभ समय (इस दौरान कोई भी शुभ काम न करें)
यम गण्ड - 9:07 AM – 10:45 AM
कुलिक - 12:23 PM – 2:01 PM
दुर्मुहूर्त - 08:28 AM – 09:20 AM और 11:17 PM – 12:01 AM
वर्ज्यम् - 02:56 AM – 04:35 AM
किसे कहते हैं महीने के कृष्ण और शुक्ल पक्ष?
पंचांग के अनुसार, हर चंद्रमास में दो पक्ष होते हैं- शुक्ल और कृष्ण। अमावस्या के बाद प्रतिपदा यानी पहले दिन से पूर्णिमा तक का तिथियों को शुक्ल पक्ष करते हैं यानी अमावस्या के बाद बढ़ता हुआ चांद पूर्णिमा तक शुक्ल पक्ष का सूचक है। जबकि पूर्णिमा के बाद से अमावस्या तक की तिथियों को कृष्ण पक्ष कहते हैं यानी पूर्णिमा के बाद घटता हुआ चंद्रमा अमावस्या तक कृष्ण पक्ष का सूचक है। पूरे मास की तिथियों के नाम इस प्रकार हैं- प्रतिपदा, द्वितिया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी, पूर्णिमा और अमावस्या। पूर्णिमा से चतुर्दशी तक पूर्वानुसार तिथियों के नाम एवं अंक चलते हौं और अमावस्या के साथ 30 लिखते हैं।
एक साल में कितने महीने होते हैं?
अंग्रेजी कैलेंजर की ही तरह हिंदू कैलेंडर यानी पंचांग में भी 12 महीने होते हैं- सबसे पहला महीना होता है चैत्र। इसके बाद वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, सावन, भादौ, आश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष, माघ, फाल्गुन। इनके अलावा हर तीसरे साल अधिक मास भी आता है। वो साल 12 महीनों का न होकर 13 महीनों का माना जाता है। ये अधिक मास किसी भी महीने के बीच में आता है यानी कृष्ण पक्ष निकल जाने के बाद। अधिक मास के माध्मय से ही सौर और चंद्रमा वर्ष का अंतर दूर किया जाता है।