सार

हिंदू धर्म में हर शुभ कार्य से पहले मुहूर्त जरूर देखा जाता है और विवाह के समय में बहुत ही बातों का ध्यान रखा जाता है जैसे लड़का-लड़की का गोत्र एक न हो, उन्हें मांगलिक दोष न हो आदि। इसके अलावा भी बहुत से ऐसी ग्रह योग व बातें हैं, जिन्में विवाह करना शुभ नहीं माना जाता।

उज्जैन. विवाह के समय में बहुत सी बातों का ध्यान रखा जाता है। कुछ खास स्थितियों में विवाह करना शुभ नहीं माना जाता। इनमें से कुछ बातें धर्म ग्रंथों में लिखी हैं तो कुछ ज्योतिष शास्त्र में। वहीं कुछ से मान्यताएं भी जुड़ी हैं। आज हम आपको ऐसी ही 10 बातें बता रहे हैं, जिनके कारण विवाह का त्याग करना ही श्रेष्ठ माना गया है। आगे जानिए इन 10 कारणों के बारे में…

1. पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में सीताजी का विवाह हुआ था। वैवाहिक जीवन में उन्हें अनेक कष्ट झेलने पड़े थे, इसलिए वाल्मिकी ऋषि ने इस नक्षत्र को विवाह के लिए शुभ नहीं माना। अत: विवाह में इस नक्षत्र को टाल देना चाहिए।
2. विवाह के पहले गुण मिलान जरूर किया जाता है। यदि लड़का-लड़की गुण मिलान 18 से कम हो रहा हो तो भी शास्त्र अनुसार विवाह न करें। 
3. सबसे बड़ा पुत्र यानी ज्येष्ठ और सबसे बड़ी पुत्री का विवाह ज्येष्ठ मास में नहीं करना चाहिए। नहीं तो इनके वैवाहिक जीवन में परेशानी आ सकती है।
4. दो सगे भाइयों का विवाह 6 महीने के अंदर नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से परेशानी हो सकती है। तक दूसरे का विवाह नहीं करना चाहिए।
5. जब आकाश में बृहस्पति (गुरु ग्रह) और शुक्र ग्रह अस्त चल रहे हो और इनका बालत्य या वृद्धत्व दोष चल रहा हो उस समय भी विवाह करना वर्जित माना गया है है।
6. जब मल मास चल रहा हो। जब देव शयन चल रहा है तथा स्वयं सिद्ध अबूझ मुहूर्त भी नहीं मिलें, इस स्थिति में भी विवाह करने से बचना चाहिए।
7. जब सूर्य अपनी नीच राशि तुला में विचरण कर रहे हो तो भी विवाह न करें। होलाष्टक के 8 दिनों में में विवाह कार्य वर्जित माना गया है है।
8. जन्मपत्री मिलान में गण दोष, भ्रकूट (षडाष्टक) यानी वर वधु की राशियां आपस में छठी-आठवीं पड़ती हो तो भूलकर भी विवाह नहीं करना चाहिए, नहीं तो कुछ अनर्थ होने की संभावना बनी रहती है।
9. नवम-पंचम दोष अर्थात वर-वधु की राशि आपस में नवीं और पांचवी पड़ रही है। द्विदादर्श दोष हो यानी वर-वधु की राशियां आपस में दूसरी और बारहवीं पड़ती हो। तो इस स्थिति में भी विवाह न करें। 
10. लड़का और लड़की यदि एक ही गोत्र के हो या एक मांगलिक और दूसरा मांगलिक न हो तो ऐसी स्थिति में विवाह न करना ही श्रेष्ठ है।