सार
भगवान श्रीगणेश को प्रसन्न करने के लिए प्रत्येक मास के दोनों पक्षों की चतुर्थी तिथि को व्रत व पूजा की जाती है। इन सभी चतुर्थी में वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी का विशेष महत्व है।
उज्जैन. ये चतुर्थी तिथि साल की 4 विशेष चतुर्थियों में से एक है। इस बार ये चतुर्थी 11 अप्रैल, शनिवार को है। सुख-समद्धि के लिए इस तिथि पर आगे बताए गई विधि से भगवान श्रीगणेश की पूजा करनी चाहिए-
इस विधि से करें व्रत और पूजा
- शनिवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद अपनी इच्छा अनुसार सोने, चांदी, तांबे, पीतल या मिट्टी से बनी भगवान श्रीगणेश की प्रतिमा स्थापित करें।
- संकल्प मंत्र के बाद भगवान श्रीगणेश को सिंदूर, फूल, चावल आदि चीजें चढ़ाएं। गणेश मंत्र (ऊं गं गणपतयै नम:) बोलते हुए दूर्वा चढ़ाएं। गुड़ या बूंदी के 21 लड्डुओं का भोग लगाएं।
- 5 लड्डू मूर्ति के पास रख दें तथा 5 ब्राह्मण को दान कर दें। शेष लड्डू प्रसाद के रूप में बांट दें। पूजा के बाद श्रीगणेश स्त्रोत, अथर्वशीर्ष, संकटनाशक स्त्रोत आदि का पाठ करें।
- इसके बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं और उन्हें दक्षिणा देने बाद शाम को चंद्रमा निकलने के बाद स्वयं भोजन करें। संभव हो तो उपवास करें।
- इस व्रत का आस्था और श्रद्धा से पालन करने पर भगवान श्रीगणेश की कृपा से मनोरथ पूरे होते हैं और जीवन में निरंतर सफलता प्राप्त होती है।