सार
घर की सुख-समृद्धि और शांति बनाए रखने के लिए पूजा-पाठ की जाती है। पूजा किसी भी देवी-देवता की हो, सबसे पहले संकल्प लिया जाता है। पूजा विधि का ये भी एक अनिवार्य कर्म है।
उज्जैन. घर की सुख-समृद्धि और शांति बनाए रखने के लिए पूजा-पाठ की जाती है। पूजा किसी भी देवी-देवता की हो, सबसे पहले संकल्प लिया जाता है। पूजा विधि का ये भी एक अनिवार्य कर्म है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार सही तरीके से पूजा-पाठ किया जाता है तो उसका फल जल्दी मिल सकता है। इसीलिए विशेष उद्देश्य के लिए की जाने वाली पूजा में किसी ब्राह्मण की मदद ली जाती है।
सबसे पहले लेना चाहिए संकल्प
किसी भी पूजा की शुरुआत में पहले संकल्प अवश्य लेना चाहिए। पूजा से पहले अगर संकल्प ना लिया जाए तो उस पूजा का पूरा फल प्राप्त नहीं हो पाता है। मान्यता है कि संकल्प के बिना की गई पूजा का सारा फल देवराज इन्द्र को प्राप्त हो जाता है। इसीलिए दैनिक पूजा में भी पहले संकल्प लेना चाहिए।
इष्टदेव को साक्षी मानकर लें संकल्प
पं. शर्मा के मुताबिक इष्टदेव और स्वयं को साक्षी मानकर संकल्प लिया जाता है कि हम ये पूजन कर्म विभिन्न मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए कर रहे हैं और इस पूजन को पूर्ण अवश्य करेंगे।
संकल्प लेते समय हाथ में जल लिया जाता है, क्योंकि इस पूरी सृष्टि के पंचतत्व अग्रि, पृथ्वी, आकाश, वायु और जल में भगवान गणपति जल तत्व के अधिपति हैं। इसीलिए प्रथम पूज्य श्रीगणेश को सामने रखकर संकल्प लिया जाता है। ताकि श्रीगणेश की कृपा से पूजन कर्म बिना किसी बाधा के पूर्ण हो सके। एक बार पूजन का संकल्प लेने के बाद उस पूजा को पूरा जरूर करना चाहिए। इस कर्म से हमारी संकल्प शक्ति मजबूत होती है। विपरित परिस्थितियों का सामना करने का साहस प्राप्त होता है और पूजा का पूरा फल प्राप्त होता है, जिससे हमारी मनोकामनाएं जल्दी पूरी हो सकती हैं।