सार

इस बार आषाढ़ मास की पूर्णिमा पर 5 जुलाई, रविवार को चंद्रग्रहण का योग बन रहा है। यह लगातार तीसरी बार है जब गुरु पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण है।

उज्जैन. इसके पहले साल 2018 और 2019 में भी गुरु पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण हुआ था। ये दोनों ही ग्रहण भारत में दिखाई दिए थे, लेकिन इस बार होने वाला ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, जिसके चलते इसका कोई भी धार्मिक महत्व नहीं माना जाएगा।

किस राशि में लग रहा है चंद्रग्रहण?
5 जुलाई को होने वाला चंद्रग्रहण धनु राशि में लग रहा है। इस वजह से धनु राशि वालों पर इसका गहरा प्रभाव देखने को मिलेगा। पंचांग के अनुसार, इस दिन सूर्य मिथुन राशि में होंगे और पूर्णिमा तिथि होगी। चूंकि यह एक उपछाया चंद्रग्रहण है, जिसकी वजह से सूतक काल मान्य नहीं होंगे। ज्योतिष शास्त्र में सूतक काल को एक शुभ समय अवधि नहीं माना गया है। सूतक काल में किसी भी प्रकार के धार्मिक और शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। मगर इस बार चंद्रग्रहण में ऐसी कोई पाबंदी नहीं होगी।

चंद्रग्रहण और गुरु पूर्णिमा
गुरु पूर्णिमा की तिथि इस बार 4 जुलाई दिन शनिवार से ही दोपहर 11 बजकर 33 मिनट पर आरंभ हो जाएगी। जो 5 जुलाई को 10 बजकर 13 मिनट तक रहेगा। इससे पहले साल 2018 में 27 जुलाई को और साल 2019 में 16 जुलाई को गुरु पूर्णिमा और चंद्रग्रहण एक साथ था।

गुरु पूर्णिमा पर करें यह शुभ कार्य
इस बार का चंद्रग्रहण मान्य न होने के कारण गुरु पूर्णिमा पर पूजापाठ कर सकते हैं। इस दिन महाभारत के रचयिता महर्षि वेद व्यासजी की जयंती मनाई जाती है। पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण की कथा और दान करने का विशेष महत्व होता है।

चंद्रग्रहण के प्रभाव
ज्योतिषशास्त्रियों के अनुसार एक महीने में 2 या उससे अधिक ग्रहण का होना शुभ नहीं माना जाता है। वहीं 5 जून से 5 जुलाई के बीच में यह तीसरा ग्रहण है। माना जा रहा है कि इसके प्रभाव से लोगों को भीषण प्राकृतिक आपदा का सामना करना पड़ सकता है। बड़े देशों के बीच दुश्मनी की खाई और भी गहरी हो सकती है। महंगाई की मार लोगों को लंबे समय तक झेलनी पड़ सकती है।