सार
होली से पहले के आठ दिनों को होलाष्टक कहा जाता है। इस बार यह 3 मार्च, मंगलवार से शुरू होगा, जो 9 मार्च, सोमवार तक रहेगा। इस दौरान विवाह आदि शुभ कार्य नहीं किए जाते।
उज्जैन. ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार, होलाष्टक के दौरान शुभ काम करने से अशुभ फल मिलते हैं। ऐसी मान्यता है कि होली से पहले आठ दिनों तक हिरण्यकशिपु ने अपने पुत्र विष्णु भक्त प्रह्लाद को मारने की कोशिश की थी।
होलाष्टक में क्या न करें-
धर्म ग्रंथों के अनुसार, होलाष्टक के दौरान विवाह आदि 16 संस्कार नहीं करने चाहिए। धार्मिक अनुष्ठान जैसे यज्ञ, हवन आदि भी नहीं करने चाहिए। भवन, भूमि आदि से जुड़े शुभ कार्य भी होलाष्टक में नहीं करने चाहिए।
होलाष्टक में क्या करें-
होलाष्टक में दौरान अपने ईष्टदेव की पूजा करनी चाहिए। जरूरतमंदों को अनाज, वस्त्र आदि का दान करें।
ज्योतिष में होलाष्टक का महत्व
ज्योतिष के अनुसार, फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से पूर्णिमा तक ग्रहों की दशा का स्वरूप उग्र होता है। फाल्गुन शुक्ल अष्टमी को चंद्रमा, नवमी को सूर्य, दशमी को शनि, एकादशी को शुक्र, द्वादशी को गुरु, त्रयोदशी को बुध और चतुर्दशी को मंगल और पूर्णिमा को राहु उग्र रूप में रहते हैं। इनका सीधा असर मनुष्य जीवन पर पड़ता है। इसलिए इस दौरान कोई भी शुभ काम करने की मनाही है।