सार

12 मई 2022, दिन गुरुवार को वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि है। इसे मोहिनी एकादशी कहते हैं। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, इसी तिथि पर भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप में अवतार लिया था।

उज्जैन. ज्योतिष भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग है। ज्योतिष के माध्यम के ही हमें ग्रह-नक्षत्रों की पूरी जानकारी प्राप्त होती है और शुभ-अशुभ मुहूर्त आदि के बारे में पता लगता है। ग्रह-नक्षत्रों के राशि परिवर्तन और शुभ-अशुभ मुहूर्त आदि के बारे में पूरी जानकारी पंचांग में दी जाती है। पचांग वैदिक काल से ही सनातन धर्म में काल गणना का एक प्रमुख अंग रहा है। हमारे सौर मंडल में स्थित सभी 9 ग्रह किसी न किसी तरह हमारे जीवन को प्रभावित करते हैं, इनसे संबंधित राशिफल भी पंचांग में मिलता है। ज्योतिषियों के अनुसार हर साल का नया पंचांग बनाया जाता है, लेकिन ये अंग्रेजी कैलेंडर पर आधारित न होकर हिंदू नववर्ष पर आधारित होता है। ज्योतिषियों के अनुसार, पंचांग मुख्य रूप से 5 अंगों से मिलकर बनता है, इसीलिए इसे पंचांग कहते हैं- ये हैं करण, तिथि, नक्षत्र, वार और योग। आगे जानिए पंचांग से जुड़ी खास बातें…

12 मई का पंचांग (Aaj Ka Panchang 12 May 2022)
12 मई 2022, दिन गुरुवार को वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि है। इसे मोहिनी एकादशी कहते हैं। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, इसी तिथि पर भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप में अवतार लिया था। गुरुवार को सूर्योदय उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में होगा जो शाम 4.30 तक रहेगा। इसके बाद हस्त नक्षत्र रात अंत तक रहेगा। गुरुवार को पहले उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र होने से मातंग नाम का शुभ योग और उसके बाद हस्त नक्षत्र होने से राक्षस नाम का अशुभ योग इस दिन बन रहा है। इस दिन राहुकाल दोपहर 02:01 से 03:39 तक रहेगा। इस दौरान कोई भी शुभ काम न करें।   

12 मई को किया जाएगा मोहिनी एकादशी का व्रत
धर्म ग्रंथों के अनुसार, वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी कहते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान विष्णु ने इसी तिथि पर मोहिनी रूप में अवतार लेकर देवताओं का अमृत पिलाया था। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा विशेष रूप से की जाती है। ऐसी मान्यता है कि मोहिनी एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा करने से हर तरह के संकट दूर हो जाते हैं।

ग्रहों की स्थिति कुछ इस प्रकार से होगी...
गुरुवार को चंद्रमा कन्या राशि में, बुध वृषभ राशि में (वक्री), सूर्य और राहु मेष राशि में, शुक्र और गुरु मीन राशि में, केतु तुला राशि में, मंगल कुंभ राशि में और शनि कुंभ राशि में रहेगा। गुरुवार को दक्षिण दिशा की यात्रा नहीं करनी चाहिए। यदि करनी पड़े तो दही या जीरा मुंह में डाल कर निकलें।

12 मई के पंचांग से जुड़ी अन्य खास बातें
विक्रमी संवत- 2079
मास पूर्णिमांत- वैशाख
पक्ष- शुक्ल
दिन- गुरुवार
ऋतु- ग्रीष्म
तिथि- एकादशी शाम 06:51 तक, इसके बाद द्वादशी 
नक्षत्र- उत्तरा फाल्गुनी और हस्त
करण- विष्टि और बव 
सूर्योदय - 5:51 AM
सूर्यास्त - 6:55 PM
चन्द्रोदय - 12 3:14 PM
चन्द्रास्त - 3:41 AM 
अभिजीत मुहूर्त- 11:57 AM-12:49 PM

12 मई का अशुभ समय (इस दौरान कोई भी शुभ काम न करें)
यम गण्ड - 5:51 AM – 7:29 AM
कुलिक - 9:07 AM – 10:45 AM
दुर्मुहूर्त - 10:12 AM – 11:04 AM और  03:26 PM – 04:18 PM
वर्ज्यम् - 03:39 AM – 05:13 AM

जानिए क्या है भद्रा, इसमें शुभ काम क्यों नहीं किए जाते?
पुराणों के अनुसार भद्रा सूर्यदेव की पुत्री और शनि की बहन है। इनका स्वभाव भी शनि की तरह क्रोधी है। इनके क्रोधी स्वभाव को नियंत्रित करने के लिए ब्रह्मदेव ने इन्हें पंचांग के एक प्रमुख अंग विष्टि करण में स्थान दिया है। ज्योतिष में करण की संख्या 11 बताई गई है। ये चर और अचर में बांटे गए हैं। इन 11 करणों में 7वें करण विष्टि का नाम ही भद्रा है। यह सदैव गतिशील होती है। पंचांग शुद्धि में भद्रा का खास महत्व होता है। ज्योतिष विज्ञान के अनुसार अलग-अलग राशियों के अनुसार भद्रा तीनों लोकों में घूमती है। जब यह मृत्युलोक में होती है, तब सभी शुभ कार्यों में बाधक या उनका नाश करने वाली मानी गई है। इस समय सभी कार्य शुभ कार्य वर्जित होते हैं। इसके दोष निवारण के लिए भद्रा व्रत का विधान भी धर्मग्रंथों में बताया गया है।