सार
13 मई 2022, दिन शुक्रवार को वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी शाम 5.30 तक रहेगी। इसके बाद त्रयोदशी तिथि आरंभ हो जाएगी। इस दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए शुक्र प्रदोष का व्रत किया जाएगा।
उज्जैन. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हमारे सौर मंडल में 9 ग्रह हैं जो हमारे जीवन को प्रभावित करते हैं। ये ग्रह समय-समय पर राशि बदलते हैं और इनके गति के कारण ही हमारी लाइफ पर शुभ-अशुभ प्रभाव पड़ते हैं। ग्रह और नक्षत्रों से संबंधित पूरी जानकारी पंचांग के पता की जा सकती है। ज्योतिषियों के अनुसार हर साल का नया पंचांग बनाया जाता है, लेकिन ये अंग्रेजी कैलेंडर पर आधारित न होकर हिंदू नववर्ष पर आधारित होता है। पंचांग वैदिक काल से ही सनातन धर्म में काल गणना का एक प्रमुख अंग रहा है। ज्योतिषियों के अनुसार, पंचांग मुख्य रूप से 5 अंगों से मिलकर बनता है, इसीलिए इसे पंचांग कहते हैं- ये हैं करण, तिथि, नक्षत्र, वार और योग। आगे जानिए पंचांग से जुड़ी खास बातें…
13 मई का पंचांग (Aaj Ka Panchang 13 May 2022)
13 मई 2022, दिन शुक्रवार को वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी शाम 5.30 तक रहेगी। इसके बाद त्रयोदशी तिथि आरंभ हो जाएगी। इस दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए शुक्र प्रदोष का व्रत किया जाएगा। शुक्रवार को सूर्योदय नक्षत्र नक्षत्र में होगा, जो शाम 4.24 तक रहेगा। इसके बाद चित्रा नक्षत्र रात अंत तक रहेगा। शुक्रवार को पहले हस्त नक्षत्र होने से अमृत नाम का शुभ योग और उसके बाद चित्रा नक्षत्र होने से मूसल नाम का अशुभ योग इस दिन बन रहा है। इस दिन राहुकाल सुबह 10:45 से दोपहर 12:23 तक रहेगा। इस दौरान कोई भी शुभ काम न करें।
13 मई को किया जाएगा शुक्र प्रदोष व्रत
13 मई को शुक्र प्रदोष का व्रत किया जाएगा। ये व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। धर्म ग्रंथों में इस व्रत का विशेष महत्व बताया गया है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से शुक्र ग्रह से संबंधित दोष दूर होते हैं और किसी तरह का कोई संकट भी नहीं सताता। इस दिन पूजा का मुहूर्त शाम 07:04 से रात 09:09 तक रहेगा। जो व्यक्ति ये व्रत करता है उस पर भगवान शिव और देवी पार्वती की कृपा बनी रहती है।
ग्रहों की स्थिति कुछ इस प्रकार से होगी...
शुक्रवार को बुध ग्रह वृषभ राशि में वक्री अवस्था में रहते हुए अस्त हो जाएगा। इस दिन
मंगल कुंभ राशि में और शनि कुंभ राशि में, चंद्रमा कन्या राशि में, सूर्य और राहु मेष राशि में, शुक्र और गुरु मीन राशि में, केतु तुला राशि में रहेगा। शुक्रवार को पश्चिम दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए। अगर यात्रा करना जरूरी हो तो जौ या राईं खाकर घर से बाहर निकलें।
13 मई के पंचांग से जुड़ी अन्य खास बातें
विक्रमी संवत- 2079
मास पूर्णिमांत- वैशाख
पक्ष- शुक्ल
दिन- शुक्रवार
ऋतु- ग्रीष्म
तिथि- द्वादशी शाम 05:29 तक, इसके बाद त्रयोदशी
नक्षत्र- हस्त और चित्रा
करण- बालव और कौलव
सूर्योदय - 5:50 AM
सूर्यास्त - 6:55 PM
चन्द्रोदय - 4:12 PM
चन्द्रास्त - 4:17 AM
अभिजीत मुहूर्त- 11:57 AM-12:49 PM
13 मई का अशुभ समय (इस दौरान कोई भी शुभ काम न करें)
यम गण्ड - 3:39 PM – 5:17 PM
कुलिक - 7:28 AM – 9:07 AM
दुर्मुहूर्त - 08:27 AM – 09:20 AM, 12:49 PM – 01:41 PM
वर्ज्यम् - 02:21 AM – 03:52 AM
क्या होता है मूल नक्षत्र?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब किसी बच्चे का जन्म मूल, ज्येष्ठा, आश्लेषा, आश्विन, मेघा और रेवती इन 6 में से किसी एक नक्षत्र में होता है, तो ऐसा समझना चाहिए कि बच्चे को जन्म मूल नक्षत्र में हुआ है। ऐसी स्थिति में कुछ बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए जैसे पिता को संतान को मुख नहीं देखना चाहिए और अगली बार जब भी जन्म नक्षत्र आए तो मूल की शांति आवश्यक रूप से करवानी चाहिए, नहीं तो परिवार में किसी का अहित होने की संभावना बनी रहती है।