सार

आज आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि है। इस दिन पहले कृत्तिका नक्षत्र होने से धूम्र नाम का अशुभ योग और उसके बाद रोहिणी नक्षत्र होने से धाता नाम का शुभ योग बन रहा है। 
 

उज्जैन. हिंदू कैलेंडर में पंचांग एक अनिवार्य हिस्सा है। पंचांग का उपयोग हमेशा ज्योतिष शास्त्र के लिए भी किया जाता है। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं- तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह आदि के बारे में जानकारी मिलती है। भारत में कई तरह के पंचांग प्रचलित हैं। यह सर्वाधिक प्रसिद्ध पंचांग है विक्रम जो भारत के उत्तरी, पश्चिमी और मध्य भाग में प्रचलित है। इसके बाद तमिल का उपयोग किया जाता है जो दक्षिण भारत में प्रचलित है। आगे जानिए आज के पंचांग से जुड़ी खास बातें…

रवि प्रदोष आज, करें शिवजी की पूजा
प्रत्येक महीने के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है। इस व्रत में भगवान शिव की पूजा का विधान है। ये व्रत अलग-अलग वारों के साथ मिलकर विभिन्न योग बनाता है। इस बार आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 26 जून, रविवार को है। रविवार को त्रयोदशी तिथि होने से ये रवि प्रदोष कहलाएगा। इस दिन व्रत रखकर शाम को शिवजी की विशेष पूजा की जाती है।

26 जून का पंचांग (Aaj Ka Panchang 26 June 2022)
26 जून 2022, दिन रविवार को आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि रहेगी। इस दिन सूर्योदय कृत्तिका नक्षत्र में होगा, जो दोपहर लगभग 2 बजे तक रहेगा। इसके बाद रोहिणी नक्षत्र रात अंत तक रहेगा। रविवार को पहले कृत्तिका नक्षत्र होने से धूम्र नाम का अशुभ योग और उसके बाद रोहिणी नक्षत्र होने से धाता नाम का शुभ योग इस दिन बन रहा है। राहुकाल शाम 5:31 से 7:12 तक रहेगा। इस दौरान कोई भी शुभ काम न करें।   

ग्रहों की स्थिति कुछ इस प्रकार से होगी...
रविवार को चंद्रमा वृषभ राशि में, सूर्य मिथुन राशि में, बुध और शुक्र वृषभ राशि में, राहु मेष राशि में, केतु तुला राशि में, मंगल व गुरु मीन में और शनि कुंभ राशि में रहेंगे। रविवार को पश्चिम दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए। यदि करनी पड़े तो दलिया, घी या पान खाकर ही घर से निकलें।

26 जून के पंचांग से जुड़ी अन्य खास बातें
विक्रम संवत- 2079
मास पूर्णिमांत- आषाढ़
पक्ष- कृष्ण
दिन- रविवार
ऋतु- वर्षा
नक्षत्र- कृत्तिका और रोहिणी
करण- गर और वणिज
सूर्योदय - 5:47 AM
सूर्यास्त - 7:12 PM
चन्द्रोदय - 3:21 AM
चन्द्रास्त - 5:05 PM
अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 12.02 से 12.56

26 जून का अशुभ समय (इस दौरान कोई भी शुभ काम न करें)
यम गण्ड - 2:10 PM – 3:50 PM
कुलिक - 5:46 AM – 7:27 AM
दुर्मुहूर्त - 07:34 AM – 08:28 AM
वर्ज्यम् - 11:45 PM – 01:32 AM

तीसरा करण है कौलव, इंद्र हैं इसके स्वामी
पंचांग 5 अंगों से मिलकर बनता है, इनमें से करण भी एक हैं। ये तिथि का आधा भाग होता है। करण के क्रम में कौलव तीसरा करण है। यह चर करण है। इसका प्रतीक चिह्न शूकर को माना गया है। इसके स्वामी इंद्र हैं। यह शुभ और उन्नत फल देने वाला है। इस करण में किए गए कामों में व्यवधान नही आते हैं और काम पूरा भी होता है। इस करण में जन्म लेने वाले लोग मिलनसार और स्वाभिमानी होते हैं। इनके मित्रों की संख्या भी अधिक होती है और आवश्यकता पड़ने पर इन्हें अपने मित्रों से सहयोग प्राप्त होता है।