सार

27 मई 2022, दिन शुक्रवार को ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि सुबह 11.48 तक रहेगी। इसके बाद त्रयोदशी तिथि आरंभ हो जाएगी। इस दिन शुक्र प्रदोष का व्रत किया जाएगा।
 

उज्जैन. भारतीय कैलेंडर यानी पंचांग चंद्र और सौर वर्ष पर आधारित है। भारतीय गणना पद्धति के अनुसार हर सूर्य वर्ष 365 दिन और करीब 6 घंटे का होता है, वहीं चंद्र वर्ष 354 दिनों का माना जाता है। इसका समायोजन करने के लिए ही अधिक मास की व्यवस्था पंचांग में की गई है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण, इन पांच अंगों के योग से पंचांग बनता है। पंचांग में शुभ मुहूर्त के अलावा गृह-नक्षत्र परिवर्तन से जुड़ी रोचक जानकारी भी आसानी से मिल जाती है। भारत में अलग-अलग हिस्सों में विभिन्न पंचांग प्रचलित हैं। इन सबका आधार भी अलग-अलग ही है। लेकिन एक बात जो सभी में समान है वो है ग्रह-नक्षत्रों की गणना। आगे जानिए आज के पंचांग से जुड़ी खास बातें…

27 मई का पंचांग (Aaj Ka Panchang 27 May 2022)
27 मई 2022, दिन शुक्रवार को ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि सुबह 11.48 तक रहेगी। इसके बाद त्रयोदशी तिथि आरंभ हो जाएगी। इस दिन शुक्र प्रदोष का व्रत किया जाएगा। इस दिन सूर्योदय अश्विनी नक्षत्र में होगा, जो रात अंत तक रहेगा। शुक्रवार को अश्विनी नक्षत्र होने से वज्र नाम का अशुभ योग इस दिन बन रहा है। इसके अलावा इस दिन सौभाग्य और शोभन नाम के 2 अन्य शुभ योग भी बन रहे हैं। इस दिन राहुकाल सुबह 10:44 से दोपहर 12:24 PM तक रहेगा। इस दौरान कोई भी शुभ काम न करें।   

ग्रहों की स्थिति कुछ इस प्रकार से होगी...
शुक्रवार को चंद्रमा मेष राशि में, मंगल, गुरु और शु्क्र मीन में, सूर्य और बुध वृषभ राशि में, शनि कुंभ राशि में, राहु मेष राशि में और केतु तुला राशि में रहेंगे। शुक्रवार को पश्चिम दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए। अगर यात्रा करना जरूरी हो तो जौ या राईं खाकर घर से बाहर निकलें।

27 मई के पंचांग से जुड़ी अन्य खास बातें
विक्रमी संवत- 2079
मास पूर्णिमांत- ज्येष्ठ
पक्ष- कृष्ण
दिन- गुरुवार
ऋतु- ग्रीष्म
नक्षत्र- अश्विनी
करण- तैतिल और गर
सूर्योदय - 05:45 AM
सूर्यास्त - 07:02 PM
चन्द्रोदय - 03:34 AM
चन्द्रास्त - 04:28 PM 
अभिजीत मुहूर्त – 11:57 AM: 12:50 PM

27 मई का अशुभ समय (इस दौरान कोई भी शुभ काम न करें)
यम गण्ड - 03:43 PM – 05:23 PM
कुलिक - 07:25 AM – 09:04 AM
दुर्मुहूर्त - 08:25 AM – 09:18 AM और 12:50 PM – 01:43 PM
वर्ज्यम् - 12:55 PM – 02:40 PM

आज किया जाएगा शुक्र प्रदोष व्रत
धर्म ग्रंथों के अनुसार प्रत्येक मास के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष व्रत किया जाता है। इस बार 27 मई को ये व्रत किया जाएगा। शुक्रवार को त्रयोदशी तिथि होने से ये शुक्र प्रदोष कहलाएगा। इस दिन शोभन और सौभाग्य नाम के 2 शुभ योग भी बन रहे हैं, जिससे इस व्रत का महत्व और भी बढ़ गया है। इस दिन भगवान शिव के निमित्त व्रत और पूजा करने से हर प्रकार का सुख मिलता है और दुखों का अंत होता है।  

आकाश मंडल का पहला नक्षत्र है अश्विनी
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अश्विनी आकाश मंडल का प्रथम नक्षत्र है। यह 3-3 तारों का समूह है, जो आकाश में जनवरी के प्रारंभ में सूर्यास्त के बाद दिखाई देता है। धर्म ग्रंथों में अश्विनी कुमार के देवताओं का वर्णन है, उन्हीं के नाम से इस नक्षत्र का नाम रखा गया है। 'अश्विनी' का अर्थ 'अश्व जैसा' होता है। अश्विन मास की पूर्णिमा तिथि को चन्द्रमा अश्विनी नक्षत्र में रहता है। अश्विनी नक्षत्र का स्वामी केतु होता है। अश्विनी नक्षत्र में जन्मे लोग अपने मान-सम्मान का ध्यान रखते हैं। ये समाजसेवा के कामों में हमेशा आगे रहते हैं। यह स्वतंत्र विचार रखते हैं और अकेले में सोचना-समझना ज्यादा अच्छा लगता है।