सार

3 जून 2022, दिन शुक्रवार को ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि रहेगी। इस दिन विनायकी चतुर्थी का व्रत किया जाएगा। शुक्रवार को सूर्योदय पुनर्वसु नक्षत्र में होगा, जो शाम 04.35 तक रहेगा। इसके बाद पुष्य नक्षत्र रात अंत तक रहेगा।
 

उज्जैन. पंचांग के अनुसार, तिथि को तारीख या दिनांक कहते हैं। अन्य तारीख और तिथि में फर्क यह है कि यह दिन या रात में कभी भी शुरू हो सकती है। इसका संबंध चन्द्र के नक्षत्र में भ्रमण से होता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार माह के 30 दिन को चन्द्र कला के आधार पर 15-15 दिन के 2 पक्षों में बांटा गया है- शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष। पंचांग प्रकरण, श्लोक 1 में कहा गया है  तिथि वारिश्च नक्षत्रां योग करणमेव च। एतेषां यत्रा विज्ञानं पंचांग तन्निगद्यते॥  पंचांग दो पद्धतियों पर निर्मित होते हैं – सायन और निरयन। पंचांग के अनुसार, प्रत्येक महीन दो पखवाड़ों में बंटा होता है, जिसे पक्ष कहते हैं कृष्ण और शुक्ल। इनकी तिथियां प्रतिपदा से लेकर चतुर्दशी तक एक समान ही होती है, शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि पूर्णिमा और कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि अमावस्या कहलाती है। आगे जानिए आज के पंचांग से जुड़ी खास बातें…


3 जून का पंचांग (Aaj Ka Panchang 3 June 2022)
3 जून 2022, दिन शुक्रवार को ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि रहेगी। इस दिन विनायकी चतुर्थी का व्रत किया जाएगा। शुक्रवार को सूर्योदय पुनर्वसु नक्षत्र में होगा, जो शाम 04.35 तक रहेगा। इसके बाद पुष्य नक्षत्र रात अंत तक रहेगा। शुक्रवार को पहले पुनर्वसु नक्षत्र होने से लुंबक और उसके बाद पुष्य नक्षत्र होने से उत्पात नाम के 2 अशुभ योग इस दिन बन रहे हैं। इस दिन सर्वार्थसिद्धि नाम का एक शुभ योग भी रहेगा। इस दिन राहुकाल सुबह 10:44 से दोपहर 12:25 PM तक रहेगा। इस दौरान कोई भी शुभ काम न करें।   

ग्रहों की स्थिति कुछ इस प्रकार से होगी...
शुक्रवार को चंद्रमा मिथुन राशि से निकलकर कर्क राशि में प्रवेश करेगा। सूर्य और बुध ग्रह वृषभ राशि में, राहु मेष राशि में, केतु तुला राशि में, मंगल, गुरु और शु्क्र मीन में और शनि कुंभ राशि में रहेंगे। शुक्रवार को पश्चिम दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए। अगर यात्रा करना जरूरी हो तो जौ या राईं खाकर घर से बाहर निकलें।

3 जून के पंचांग से जुड़ी अन्य खास बातें
विक्रमी संवत- 2079
मास पूर्णिमांत- ज्येष्ठ
पक्ष- शुक्ल
दिन- शुक्रवार
ऋतु- ग्रीष्म
नक्षत्र- पुनर्वसु और पुष्य
करण- वणिज और विष्टि
सूर्योदय - 5:44 AM
सूर्यास्त - 7:05 PM
चन्द्रोदय - 8:32 AM
चन्द्रास्त - 10:34 PM
अभिजीत मुहूर्त - 11:58 AM - 12:51 PM

3 जून का अशुभ समय (इस दौरान कोई भी शुभ काम न करें)
यम गण्ड - 3:45 PM – 5:25 PM
कुलिक - 7:24 AM – 9:04 AM
दुर्मुहूर्त - 08:24 AM – 09:18 AM और 12:51 PM – 01:45 PM
वर्ज्यम् - 04:02 AM – 05:49 AM

आज किया जाएगा विनायकी चतुर्थी व्रत
धर्म ग्रंथों के अनुसार, ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायकी चतुर्थी का व्रत किया जाता है। इस बार ये व्रत 3 जून, शुक्रवार को है। इस दिन महिलाएं भगवान श्रीगणेश की पूजा करती हैं और दिन भर उपवास करने के बाद शाम को चंद्रमा के उदय होने पर ही व्रत पूर्ण करती हैं। इस प्रकार विनायकी चतुर्थी का व्रत करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। इस दिन सर्वार्थसिद्धि योग होने से इसका महत्व और भी बढ़ गया है।

नक्षत्रों का राजा है पुष्य
ज्योतिष शास्त्र में पुष्य को नक्षत्रों का राजा कहा गया है। इसलिए ऋग्वेद में इसे मंगल कर्ता, वृद्धि कर्ता और सुख समृद्धि देने वाला भी कहा गया है। पुष्य नक्षत्र के देवता बृहस्पति माने गए हैं और शनि को इस नक्षत्र का दिशा प्रतिनिधि माना जाता है। बृहस्पति से शुभता, बुद्धिमत्ता और ज्ञान मिलती है जबकि शनि स्थायित्व के प्रतीक हैं, इसलिए इन दोनों का योग मिलकर पुष्य नक्षत्र को शुभ और चिर स्थायी बना देता हैं। पुष्य-नक्षत्र में खोई हुई कोई भी चीज जल्दी ही मिल जाती है। पुष्य नक्षत्र में विवाह को छोड़ सभी मांगलिक काम किए जा सकते हैं।