सार
30 जुलाई को श्रावण शुक्ल पक्ष की द्वितिया तिथि है। शनिवार को पहले आश्लेषा नक्षत्र होने से मानस और उसके बाद मघा नक्षत्र होने से पद्म नाम के 2 शुभ योग इस दिन बन रहे हैं। इस दिन राहुकाल सुबह 09:16 से 10:55 तक रहेगा।
उज्जैन. पंचांग वैदिक काल से ही सनातन धर्म में काल गणना का एक प्रमुख अंग रहा है। वैसे तो हमारे देश में कई तरह के पंचांग प्रचलित हैं। इनमें से विक्रम पंचांग सबसे प्रमुख है। वेद, पुराण और अन्य ग्रंथों में सूर्य, चंद्रमा, पृथ्वी व अन्य ग्रहों के साथ ही और नक्षत्र आदि की स्थिति, दूरी और गति के बारे में बताया गया है। इसी के आधार पर पंचांग का निर्माण किया जाता है। आगे जानिए आज के पंचांग से जुड़ी खास बातें…
30 जुलाई का पंचांग (Aaj Ka Panchang 30 July 2022)
30 जुलाई 2022, दिन शनिवार को श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की द्वितिया तिथि रहेगी। शनिवार को सूर्योदय आश्लेषा नक्षत्र में होगा, जो दोपहर 12.13 तक रहेगा, इसके बाद रात अंत तक मघा नक्षत्र रहेगा। शनिवार को पहले आश्लेषा नक्षत्र होने से मानस और उसके बाद मघा नक्षत्र होने से पद्म नाम के 2 शुभ योग इस दिन बन रहे हैं। इनके अलावा व्यातीपात और वारियन नाम के 2 अन्य योग भी इस दिन रहेंगे। इस दिन राहुकाल सुबह 09:16 से 10:55 तक रहेगा। इस दौरान कोई भी शुभ काम न करें।
ग्रहों की स्थिति कुछ इस प्रकार रहेगी...
शनिवार को चंद्रमा कर्क से निकलकर सिंह राशि में प्रवेश करेगा। सूर्य-बुध कर्क राशि में, शुक्र मिथुन राशि में, शनि मकर राशि (वक्री), मंगल-राहु मेष राशि में, राहु मीन राशि में (वक्री) और केतु तुला राशि में रहेंगे। शनिवार को पूर्व दिशा में यात्रा करने से बचना चाहिए। पूर्व दिशा में यात्रा करना पड़े तो अदरक, उड़द या तिल खाकर घर से निकलें।
29 जुलाई के पंचांग से जुड़ी अन्य खास बातें
विक्रम संवत- 2079
मास पूर्णिमांत- श्रावण
पक्ष- शुक्ल
दिन- शनिवार
ऋतु- वर्षा
नक्षत्र- आश्लेषा और मघा
करण- बालव और कौलव
सूर्योदय - 6:00 AM
सूर्यास्त - 7:06 PM
चन्द्रोदय - Jul 30 7:05 AM
चन्द्रास्त - Jul 30 8:32 PM
अभिजीत मुहूर्त - 12:07 PM – 12:59 PM
30 जुलाई का अशुभ समय (इस दौरान कोई भी शुभ काम न करें)
यम गण्ड - 2:11 PM – 3:49 PM
कुलिक - 6:00 AM – 7:38 AM
दुर्मुहूर्त - 07:45 AM – 08:37 AM
वर्ज्यम् - 01:16 AM – 03:01 AM
इंद्र योग (Indra Yoga)
ज्योतिष शास्त्र में 27 शुभ-अशुभ योगों के बारे में बताया गया है। ये पंचांग के 5 अंगों में से एक है। इनमें से छब्बीसवें योग का नाम इंद्र है। जब कुंडली में चंद्रमा से तीसरे स्थान पर मंगल हो और सातवें भाव पर शनि विराजमान हो या फिर शनि से सातवें भाव में शुक्र मौजूद हो और शुक्र से सातवें भाव में गुरु हो तब भी इंद्र योग बनता है। इंद्र योग को शुभ योग माना जाता है। जिसमें राज्य पक्ष के रुके कार्यों को पूर्ण किया जाता है। इस योग में किए गए सभी कार्य पूर्ण होते हैं और उन कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
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