4 जुलाई 2022, दिन सोमवार को आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि है। सोमवार को पहले मघा नक्षत्र होने से ध्वांक्ष नाम का अशुभ योग और उसके बाद पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र होने से ध्वजा नाम का शुभ योग इस दिन बन रहा है।
उज्जैन. पंचांग हमारे जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा है। किसी भी शुभ कार्य से पहले मुहूर्त देखने के लिए पंचांग का ही सहारा लिया जाता है। पंचांग सूर्य-चंद्र की आकाशीय स्थिति के अनुसार बनाए जाते हैं और इनमें अन्य ग्रहों की स्थिति का भी ध्यान रखा जाता है। वर्तमान में विक्रम पंचांग सर्वाधिक प्रचलित है। पंचांग की तीन धाराएँ हैं- पहली चंद्र आधारित, दूसरी नक्षत्र आधारित और तीसरी सूर्य आधारित कैलेंडर पद्धति। ज्योतिष शास्त्र में पंचांग के 5 अंग बताए गए हैं, ये हैं- तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। इन सभी के योग से पंचांग बनता है। आगे जानिए आज के पंचांग से जुड़ी खास बातें…
गुप्त नवरात्रि का पांचवां दिन आज
4 जुलाई, सोमवार को आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि का पांचवां दिन है। इस दिन देवी के स्कंदमाता स्वरूप की पूजा की जाती है। इन देवी की एक भुजा ऊपर की ओर उठी हुई है जिससे वह भक्तों को आशीर्वाद देती हैं और एक हाथ से उन्होंने गोद में बैठे अपने पुत्र स्कंद को पकड़ा हुआ है। इनका आसन कमल है, इसलिए इन देवी का एक नाम पद्मासना भी है। सिंह इनका वाहन है।
4 जुलाई का पंचांग (Aaj Ka Panchang 4 July 2022)
4 जुलाई 2022, दिन सोमवार को आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि है। ये गुप्त नवरात्रि का पांचवा दिन है। इस दिन देवी के स्कंदमाता स्वरूप की पूजा की जाती है। इस दिन सूर्योदय मघा नक्षत्र में होगा, जो सुबह 8.44 तक रहेगा, इसके बाद पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र रात अंत तक रहेगा। सोमवार को पहले मघा नक्षत्र होने से ध्वांक्ष नाम का अशुभ योग और उसके बाद पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र होने से ध्वजा नाम का शुभ योग इस दिन बन रहा है। इस दिन राहुकाल सुबह 7:30 से 9:10 तक रहेगा। इस दौरान कोई भी शुभ काम न करें।
ग्रहों की स्थिति कुछ इस प्रकार से होगी...
सोमवार को चंद्रमा सिंह राशि में, बुध और सूर्य मिथुन राशि में, मंगल और राहु मेष राशि में, शुक्र वृषभ राशि में, केतु तुला राशि में, गुरु मीन में और शनि कुंभ राशि में रहेंगे। सोमवार को पूर्व दिशा में यात्रा करने से बचना चाहिए। यदि मजबूरी में यात्रा करनी पड़े तो शीशे में अपना चेहरा देखकर या कोई भी पुष्प खा कर घर से निकलना चाहिए।
4 जुलाई के पंचांग से जुड़ी अन्य खास बातें
विक्रम संवत- 2079
मास पूर्णिमांत- आषाढ़
पक्ष- शुक्ल
दिन- सोमवार
ऋतु- वर्षा
नक्षत्र- मघा और पूर्वा फाल्गुनी
करण- बालव और कौलव
सूर्योदय - 5:49 AM
सूर्यास्त - 7:12 PM
चन्द्रोदय - 10:02 AM
चन्द्रास्त - 11:05 PM
अभिजीत मुहूर्त- 12:04 PM – 12:58 PM
4 जुलाई का अशुभ समय (इस दौरान कोई भी शुभ काम न करें)
यम गण्ड - 10:50 AM – 12:31 PM
कुलिक - 2:11 PM – 3:52 PM
दुर्मुहूर्त - 12:58 PM – 01:51 PM और 03:38 PM – 04:32 PM
वर्ज्यम् - 05:19 PM – 07:02 PM
अंतिम करण है किंस्तुघ्न, इसके स्वामी हैं पवनदेव
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, तिथि के आधे भाग को करण करते हैं। इनकी संख्या 11 बताई गई है। पंचांग के पांच अंगों में करण भी प्रमुख है। इनमें से 11वें यानी अंतिम करण का नाम किंस्तुघ्न है, इसे कौस्तुभ के नाम से भी जाना जाता है। इस करण के स्वामी देव वायु हैं। वायु देव का प्रभाव इसमें दिखाई देता है। इनके प्रभाव से ये करण तीव्रगामी फल देने वाला है। इस करण में जन्म लेने वाले लोग साहसी और निडर होते हैं। ये दूसरों की सहायता के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। ये मनमौजी किस्म के और खेल-कूद में रूचि रखने वाले होते हैं।
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