सार
पंचांग भेद के कारण इस बार 11 और 12 अगस्त को श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाएगा। इस बार 60 वर्षों के बाद भरणी नक्षत्र, कृत्तिका नक्षत्र और अष्टमी तिथि के साथ धनु राशि के गुरु ग्रह का योग बन रहा है।
उज्जैन. इस बार 60 वर्षों के बाद भरणी नक्षत्र, कृत्तिका नक्षत्र और अष्टमी तिथि के साथ धनु राशि के गुरु ग्रह का योग बन रहा है।
60 साल बाद जन्माष्टमी पर तिथि, तारीख और नक्षत्र का अद्भुत योग
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार, इस साल 11 और 12 अगस्त को जन्माष्टमी मनाई जाएगी, लेकिन इन दोनों तारीखों की रात में रोहिणी नक्षत्र नहीं रहेगा। इस समय गुरु अपनी स्वयं की राशि धनु में स्थित है। 11 अगस्त की रात 12 बजे भरणी नक्षत्र और 12 अगस्त की रात 12 बजे कृत्तिका नक्षत्र रहेगा। ऐसा योग 60 वर्ष पहले 13 और 14 अगस्त 1960 को बना था। उस साल भी गुरु धनु राशि में था, 13 अगस्त की रात भरणी और 14 अगस्त की रात को कृत्तिका नक्षत्र था और जन्माष्टमी मनाई गई थी।
रोहिणी नक्षत्र में हुआ था श्रीकृष्ण का जन्म
द्वापर युग में श्रीकृष्ण का अवतार भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि में हुआ था। उस समय चंद्र उच्च राशि वृषभ में था। उस दिन बुधवार और रोहिणी नक्षत्र था। इस बार जन्माष्टमी पर ऐसा संयोग नहीं बन रहा है। रोहिणी नक्षत्र 11 और 12 अगस्त को नहीं रहेगा। ये नक्षत्र 13 अगस्त को रहेगा।लेकिन, जन्माष्टमी तिथि के हिसाब से मनाने की परंपरा है। इसीलिए 11 और 12 अगस्त को ये पर्व मनाया जाएगा। इस बार 12 अगस्त को जन्माष्टमी पर सर्वार्थ सिद्धि योग भी रहेगा। इस योग में पूजा-पाठ करने से जल्दी ही शुभ फल मिल सकते हैं। जन्माष्टमी अपने-अपने क्षेत्र के पंचांग और विद्वानों के मतानुसार मनाना श्रेष्ठ है।